पिंजरा | Pinjara
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
24
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सब बातें करने | कोई कहता, भूत-प्रेत गाड़ियों को उड़ा
कर शायद प्रेतलोक में ले गए हैं।
कोई कुछ कहता, कोई कुछ |
सबके चेहरों पर हवाइयां उड़ रही थीं। चारों तरफ
घुप्प अंधेर ओर घनघोर सन्नाटा था। किसी के पास
कोई कपड़ा नहीं था। कड़ाके की सरदी थी और बचने
का ओर उपाय न था। किसी के पास दियासलाई तक
नहीं थी कि रोशनी करके देखें कि हम कहां खडे हैं।
हां, रास्ते के दोनों तरफ घना जंगल था। ऊंचे छतनार
पेड़ देवों की भांति सिर उठाए खडे थे। देख-देख कर
कलेजा मुंह को आता था।
फिर किसी ने कहा, “यहां खड़े क्या देख रहे हो?
आगे बढ़ो। राम भली करेंगे।''
इस पर सब लोग चल पढ़े, हालांकि कोई नहीं... रे
जानता था कि कहां जा रहे हैं? फिर ज्यों-ज्यों हम ` ज
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