रस्टी के कारनामे | Rastii Ke Kaaranaame

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द्रोणवीर कोहली - Dronveer Kohli

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रस्किन बांड - Ruskin Bond

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सड़क के उस पार रहने वाले मेजर क्लाक॑ हमारे पहले ग्राहक थे । मेजर क्लार्क के बाल लाल-लाल से थे और आंखें चमकीली नीली और वह हमेशा प्रसननचित्त दिखाई देते थे। उसमें क्या है रस्टी ? उन्होंने पूछा । सजी अचार अचार तुम खुद डालते हो ? जी नहीं । मेरी दादी डालती हैं। हम बेचने आये हैं। इन्हें बेचकर हम बड़े दिन क्रिसमस के लिए टर्की खरीदेंगे। मिसिज बांड के अचार अहा अच्छा है पहले मेरा ही घर पड़ता है क्योंकि मैं जानता हूं तुम्हारी टोकरी आनन-फानन में खाली हो जायेगी। बेटे तुम्हारी दादी से अच्छा अचार कोई नहीं डाल सकता । यह बात मैं पहले भी कहता था और आज फिर कहता हूं। इस दुनिया में जहां बट़िया और लजीज भोजन बनाने वालों की वैसे ही बेहद कमी है तुम्हारी दादी तो समझो ऊपरवाले का वरदान है। मेरी पत्नी बाजार गयी है इसलिए थोड़ा तसलली से बातचीत कर सकता हूं समझे... क्या-क्या है इस वक्‍त तुम्हारे पास ? जरूर ही मिर्ची का अचार भी होगा तुम्हारी दादी जानती हैं मिर्ची का अचार मुझे अच्छा लगता है। तुम्हारी टोकरी में अगर मिर्ची का अचार न हुआ तो मुझे बहुत खराब लगेगा वास्तव में टोकरी में लाल मिर्ची के अचार की तीन शीशियां थीं । मेजर क्लार्क ने तीनों की तीनों खरीद लीं । वहां से चल कर हम मिस केलनर के घर गये । मिस केलनर मिर्च-मसाले वाली चीजें कतई पसंद नहीं करती थी । इसलिए उसके हाथ अचार बेचने की बात करना ही व्यर्थ था। मगर मिस केलनर ने एक शीशी सिरकेवाला अदरक खरीद लिया । फिर उसने मुझे एक छोटी-सी प्रार्थना-पुस्तक दी । जब कभी मैं मिस केलनर से मिलने जाता था वह मुझे प्रार्थना-पुस्तक अवश्य देती थी और यह पुस्तक हमेशा वही होती थी। आगे सड़क पर डाक्टर दत्त रहते थे जो अस्पताल के इंचार्ज थे । उन्होंने नींबू के अचार की कई शीशियां खरीदीं। बोले कि नींबू का अचार उनके जिगर के लिए बड़ा फायदेमंद है। सड़क के सिरे पर मोटर-गेराज के मालिक मिस्टर हरि रहते थे जो नयी कारें बेचते थे । उन्होंने सिरके वाले प्याज की दो शीशियां खरीदीं और विनयपूर्वक कहा कि अगले महीने हम उन्हें दो शीशियां और दे जायें। वापस घर पहुंचते-पहुंचते हमारी टोकरी अकसर खाली हो चुकी होती और दादी की हथेली पर हम जाकर बीस-तीस रुपए रख देते। उन दिनों इतने रुपयों 15




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