आधुनिक हिंदी - काव्य में क्रांति की विचारधाराएं | Adhunic Hindi - Kavaya Me Kranti Ki Vichardharayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ज्ञान्ति के बाधार के बाबार मानव मुह रुप से अप्तित्ववादी है । वह अपना आस्तित्व गायन रखना चाहता है वीर इस कारण पारा स्थितिवश उसमें अनन्त इच्छाये ओर अनेक उच्चादहे उमरत हैं । अपनी इच्छावों की पुर्ति के छिर बह अनिक कार्य करता है । उन शहच्छावी के अपू्ण रहने पर उससे मानसिक छलचल उत्पन्न हो जाती है । कही मानसिक छलूचल विचारों में पावन कर क्ञान्ति का सुन्नपात करती है । हसी प्रकार ममुख्य के जोवन में कुछ वादशे होते हैं । रन जआदशी का पालन बह जी-लान से करता है | जब मी ये आवश किसी चौट से ढहने छनते हैं मवुच्य तिलथिठा उठता है । उसका दुदय स्क हछ्यल से आन्दोखित हो जाता है । सी बान्दौरन के गर्म सै कास्ति का जन्य होता है । सामास्यत अन्याय बत्याभार और अफान के कारण क्रास्ति उत्पन्न होती है । जब कोई शासक शासित पर अत्याभाएं करता है उसे उसका स्याय मी देता पदे-पदे उसे अफमामति करता है तो उस अत्याधारी के प्रति थौर धूणा ही जाती है और यह धरृणा विरोव विद्रोह तथा क्रान्ति के सूप में कुक उलती है । जमसा दुःशासन का सदा विरोध करती है बोर कस प्रभार क़ास्तिया इुन-छुन से छौती वाई हे। मरतत्र देशों में कञास्ति का मुख्य कारण राजनी सिक आर आ्जिक दौसा दे अत्याचार बोर शौथण की पीचणता अपइवय होने पर खत्ते वाला सबन हो जाता है । यह सबगता अत्याचार का चिरोध करे में प्रकट होती है । कस विरीव से अस्थानारी में नचिक मी जण भ्रतिक्िया चौती है । प्रतिक्रियावकत बह और मयातक हो जाता के । सब सभ्यता गो बल असहथ समता है वार वह शशसनन्तत्र को चपनाउूर कर नेयों व्यवस्था स्वक्तिर वे राज्यका मत में शासन तन को बर-इर कार नया शासन सवा चित रास्ते हैं । नायर ने म्यूलसपान को कभी सिला भा कय तो क्राति को काम है उस या को टूल चुर कर देना । बे... थे पूचतनी रल्यका म्तियों ट्ुँ सब े कु से बत्वा भार. बन्पोय थी रे बकवाग को जिरोधसाथ रहा है । सह जिरोधपाथ अपनी सता में बढ़ा ममागरक थोचा दे हु का ्तिनाद + चिश्सनाथराय फुष्श्र सर १६.७ कै क़ास्ति और सयृक्त मोचाँ- स्वामी सहनागनद जूक सर्द ३ प्लेन सक




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