ग्रामीण भारत में विषमता के विशेष संदर्भ में सामाजिक स्तरीकरण में हो रहे परिवर्तन के प्रतिमान | Gramin Bharat Men Wishamata Ke Vishesh Sandarbh Me Samajik Starikaran Men Ho Rahe Parivartan Ke Pratiman

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Book Image : ग्रामीण भारत में विषमता के विशेष संदर्भ में सामाजिक स्तरीकरण में हो रहे परिवर्तन के प्रतिमान  - Gramin Bharat Men Wishamata Ke Vishesh Sandarbh Me Samajik Starikaran Men Ho Rahe Parivartan Ke Pratiman

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(5॥ क्योंकि मार्क्स धर्म को जनता के लिए अफीम के समान मानता है। दूसरी बात, मजदूर पूँजीपतियों से किसी प्रकार का समझौता न करे और ऐसी किसी मिथ्या चेतना के शिकार न हो जो उन्हें यह मानने को विवश कर दे कि पूँजीपतियों को हटाये बिना भी वे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। मार्क्स के विचारों के दुर्बलताओं से परिचित होकर मैक्स वेबर(1968) ने अपने स्तरीकरण सिद्धान्त को मार्क्स के सिद्धान्त को विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया है। मैक्स वेनर का सिद्धान्त इस मान्यता पर आधारित है कि सामाजिक स्तरीकरण का मुख्य आधार समाज मे शक्ति का असमान वितरण है। शक्ति से यहां वेबर का तात्पर्य संस्थागत शक्ति से है, जो प्रभावशाली ठंग से मानवीय क्रिया का नियंत्रण करता है, जिनका वैध ओर नियमित आधार होता है। समाज म शक्ति का असमान वितरण व्यक्तियों में उच्च और निम्न प्रस्थिति को जन्म देता दहै, जो स्तरीकरण का आधार है। दूसरे प्रकार से यह कहा जा सकता है कि किसी समाज मँ सामाजिक स्तरीकरण का निर्धारण विभिन्न वर्गो मे शक्ति के असमान वितरण के अनुसार होता है। अधिक या कम शक्ति एक वर्ग के समाज व्यवस्था मे उच्च या निम्न प्रस्थिति प्रदान करती है ओर उसी के अनुसार सामाजिक स्तरीकरण का स्वरूप निर्धारित होता है। अतः सामाजिक स्तरीकरण की अवधारणा मं शक्ति की अवधारणा आधारभूत है क्‍योंकि इसी के अनुरूप व्यक्ति को सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। वेबर के अनुसार शक्ति के तीन आयाम- आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक- होते हैं। ये तीनों एक दूसरे को प्रभावित करते हैं तथा इनमें शक्तियों का असमान वितरण होता है, जिसके कारण भिन्‍न-भिन्‍न के प्रकार स्तरीकरण का जन्म होता है! आर्थिक क्षेत्र मे वर्गं सामाजिक क्षेत्र मे प्रस्थिति समूह तथा राजनैतिक হীস में राजनैतिक दल का उदय होता है। मार्क्स की तरह वेबर का भी कहना है कि सम्पत्ति के ऊपर नियंत्रण व्यक्ति अथवा वर्ग के जीवन अवसर के निर्धारण के लिए एक महत्वपूर्ण तथ्य है। लेकिन दोनों के विचारों में मूल विरोध यह है कि जहां मार्क्स केवल आर्थिक कारक को सामाजिक स्तरीकरण के निर्धारण में महत्व देता है, वही वेबर आर्थिक कारक के अलावा 'शक्ति' और 'सम्मान' को भी महत्व देता है। वेबर ने सम्पत्ति, शक्ति व॒ सम्मान को तीन पृथक यद्यपि अन्तः क्रियात्मक आधार के रूप मे देखा, जिससे किसी भी समाज म स्तरीकरण उत्पन्न होता है। सम्पत्ति विभेद वर्गं को उत्पन्न करता है। शक्ति विभेद राजनीतिक दलों को जन्म देता है। इस प्रकार शक्ति कौ अभिव्यक्ति वर्ग, प्रस्थिति ओर दल के रूपमे होता है जो सामाजिक स्तरीकरण के आधार है (एम.एम-ट्‌यूमिन,.1967)।




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