ब्रह्मचर्य – संदेश | Brhmacharya sandes
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
272
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about प्रो. सत्यव्रत सिद्धांतालंकार - Prof Satyavrat Siddhantalankar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ब्रह्मचपे-सन्देश
भयस अध्याय
क्या यह विषय गोपनीय है ?
म॑ एक गन्दे वातावरण मे साँस ले रहे हैं । हरएक त्रास के
साथ न जाने कितने गन््दे विचार हमारे दिमाग में जा
पहुँचते हैं, और न जामे कितने ह ओर भीतर प्रविष्ट होने की
तैयारी करने लगते हैं। नन्हे-तन्हे वालकों का मस्तिष्क तथा
हृदय कोमल कोपलों के फूटने और सुरमित कुछुमां के खिलने-से
उल्लसित होने वाले नवयोवन मे हो उनकी सुगध के स्थान पर
दुरगन्ध-युक्त कीचड़ से मर जाता है । आठ या दस वर्ष के बालक
के चेहरे को देखने से कुछ पता नहो चलता, परन्तु उसके वन्द
दृदेयन्कपाट 'को खोलकर देखा जाय, तो अन्दर एक म्री
धधकतो नजर आतो है, जिसको लपटों से--जो थोड़ी ही ढेर मे
प्रचण्ड रूप धारण कर लेगी--वह बालक भझुजसने बाला होता
है। वह नहीं चाहता कि उसके भीतर! झाँका जाय । इसका
विचार ही उसे केंपा देता है, नख से शिक्ष तक हिला देता है।.
=
User Reviews
No Reviews | Add Yours...