हमारी पुत्रियाँ कैसी हों ? | Hamari Putriyan Kaisi Ho ?
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
194
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आचार्य चतुरसेन शास्त्री - Acharya Chatursen Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भांता उन्हें समझा दे कि किन किन बातों पर निगरानी रखने
की आवश्यकता है। नोकर लोग प्रायः काम धन्धा करते-करते
चस्तु चुरा छेते हैं, डस पर उन्हें भरपूर ध्यान रखता चाहिए।
` स्नान करने के लिए कन्याओं को सदैव बन्द कमरा होना
चाहिए। ४-६ वर्ष तक की कन्याएँ माता के साथ ओर इससे
अधिक श्रायु की स्वयम् नहावें । स्नान करती बार इन बातों का
खयाल रखना चांहिए-- `
१--खबसे प्रथम दाता को तिन, जीमी या मंजन से साफ़
करे, कोयला या राख भी इस काम में मदद दे सकती दै | লগ
या डेंगली से यदि मंजन लगाया जाय या दतुन की जाय तो इस
चात का खूब ध्यान रखना चाहिए कि मसूड़ों पर रगड़ न लगने_
पात्र । दोंत वाहर भीतर अगर बगल सब तरफ़ से अच्छी तरह
साफ़ कर लिए जायें। इसके वाद साफ़ पानी से बारंबार कुलछा
करके मुंह ओर दॉत थो डाले जायें। है
२--इसके वाद आँखों को थोने की आवश्यकता है। धीरे
घीरे पानी की छेपकी देकर आँखों का सब मेल और चिपचिपा-
हट दूर कर देनी चाहिए । फिर धीरे धीरे मलकर पलकों क। भल
दूर कर देना चाहिए । इसके वाद मुँह, कान, गद्देन, गाल सव
भाग भली भांति रगड़ कर साफ कर लेने चाहिए। प्राय लड़-
कियो कानों को साफ नहीं करतीं और कानों में मेल गदे, घूल
छदि भरी रहती है । इसलिष कारन को स्नान कै समय अच्छी
तरद्द साफ करना चाहिए।
३--सिर धोना लड़कियों के लिये बहुत ज़रूरी है। केश
स्त्रियों का श्टैगार तो है, पर केशों की रक्षा करमा बढ़ा कठिव
है। इस सरवन्ध में हमारी योजना इस प्रकार है--
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