हमारी पुत्रियाँ कैसी हों ? | Hamari Putriyan Kaisi Ho ?

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Hamari Putriyan Kaisi Ho ? by आचार्य चतुरसेन शास्त्री - Acharya Chatursen Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भांता उन्हें समझा दे कि किन किन बातों पर निगरानी रखने की आवश्यकता है। नोकर लोग प्रायः काम धन्धा करते-करते चस्तु चुरा छेते हैं, डस पर उन्हें भरपूर ध्यान रखता चाहिए। ` स्नान करने के लिए कन्याओं को सदैव बन्द कमरा होना चाहिए। ४-६ वर्ष तक की कन्याएँ माता के साथ ओर इससे अधिक श्रायु की स्वयम्‌ नहावें । स्नान करती बार इन बातों का खयाल रखना चांहिए-- ` १--खबसे प्रथम दाता को तिन, जीमी या मंजन से साफ़ करे, कोयला या राख भी इस काम में मदद दे सकती दै | লগ या डेंगली से यदि मंजन लगाया जाय या दतुन की जाय तो इस चात का खूब ध्यान रखना चाहिए कि मसूड़ों पर रगड़ न लगने_ पात्र । दोंत वाहर भीतर अगर बगल सब तरफ़ से अच्छी तरह साफ़ कर लिए जायें। इसके वाद साफ़ पानी से बारंबार कुलछा करके मुंह ओर दॉत थो डाले जायें। है २--इसके वाद आँखों को थोने की आवश्यकता है। धीरे घीरे पानी की छेपकी देकर आँखों का सब मेल और चिपचिपा- हट दूर कर देनी चाहिए । फिर धीरे धीरे मलकर पलकों क। भल दूर कर देना चाहिए । इसके वाद मुँह, कान, गद्देन, गाल सव भाग भली भांति रगड़ कर साफ कर लेने चाहिए। प्राय लड़- कियो कानों को साफ नहीं करतीं और कानों में मेल गदे, घूल छदि भरी रहती है । इसलिष कारन को स्नान कै समय अच्छी तरद्द साफ करना चाहिए। ३--सिर धोना लड़कियों के लिये बहुत ज़रूरी है। केश स्त्रियों का श्टैगार तो है, पर केशों की रक्षा करमा बढ़ा कठिव है। इस सरवन्ध में हमारी योजना इस प्रकार है-- ११




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