पूज्य श्री जवाहर लाल जी महाराज के व्याख्यानों में से सेठ धन्ना जी | Pujya Shri Jawahar Lal Ji Maharaj Ki Vyakhyanon Seth Dhanna Ji

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Pujya Shri Jawahar Lal Ji Maharaj Ki Vyakhyanon Seth Dhanna Ji by हुक्मीचंद जी -Hukmichand Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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७ ह - कथारम्भं कारण नहीं. है । बल्कि वह तुम्हारा छोटा भाई है,. इसलिए तुम्हें उसकी प्रशंसा सुन कर और पअपतन्न'ः होना चाहिए.।' इसके-सिवा मैं उसकों जो प्रशंसा करता हूँ वह झूठी भो नहों है.। फिर- हम्हें बुरा ने का क्‍या कारण ९ | पिता कां यह कथन सुन कर तीनों मायो की ओंखं चद्‌ गड्‌ '# वे कहने रगे किं--हम तो सोचते थे कि हमारा कथन - सुन करे आप भविष्यं में धन्ना की प्ररंस न करने! के लिए हमें विश्वास दिछावेंगे, लेकिन आप तो ओर उसको प्रशंसा की पुष्टि कर रहे है! आप उसको पुण्यात्मा ओर सद्भागो कहते है तो क्या हम तीनों पापात्मा ओर टुमौगो ই ! | ' घनसार ने उत्तर दिया; कि--मैंने तुम छोगों को पाण़ात्मां या दुभोगी तो कभी नहीं कहा ! मैंने तो:केवल उसकी प्रशंसा को है ओर वहः भी उसका नार-विवार गाड़ते समय घन निकलने, विद्या बुद्धि आदि पँ उसके निपुण होनेःओर उसकी सर्वेप्रियतां के कारण । | लड़कों ने कह्दा--बस, नार-विवार गाड़ते समय घन निकरे के कारण ही आप उसको सद्भागोी कह कर उसकी प्रयासा ऋते हैं! हमारी दृष्टि में यह कोई सद्भाग्य की बात नहीं ই দি दन तो ऐसा समझते हैं कि धनकुँवर को आप सुयथ्य देला उड़ने थे; उसके जन्मोत्सब्र में आप हम -छोगों के जन्मोत्यद्र की अपेक्षों




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