नयी कहानी की मूल संवेदना | Nai Kahani Ki Mool Sanvedana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
236
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)३
अपनी-अपनी असहृप दुरूह समस्याएं हैं। ऐसी दुनिया मे सामान्य जन
युस॑-शान्ति चाहता है । को विडम्बना है ) उस वर भी ऊरर के জায়
विशभिप्न प्रचार-साधनो द्वारा उसे ”उल्सू बनाने” की को शिय करते रहते
हैं। फचत. बह दिग्प्रवित है। स्वय अरने देश में “रामराज्य” का
स्वप्न देखने वाले हताश हैं और देस की उत्तरी सीमा, अतष्य हिमालय,
विदेशों आवतायियों द्वारा आका्त है । विदेशों के आक्रमण से न केवल
हमारी नवाभमित स्वतन्वत।, वेद्नु हमार दोषान जीवन-पद्धद्धि भो
खरे में पढ़ गई है । हमारे सामाजिह जीवन में एक ओर प्रयति की
भाड़ मे यूरोप और अमरीका जय भट्ठा अनुऋरण है, तो दुसरी ओर
भापिक विपमता का पोर सन्ताप | অগ্রনী सापझाज्यगादी क। बर कर
सेने के बाइ हम भारतवात्ती आत्म-मदत ओर आत्म-विश्तेपण ভাতা
सपना जीइन-कर स्वयं निबारित करने बले থ। কিন্তু বীবন নী বন
मान देशी-विदेशों परिस्पितियों में कया बढ भ्रम्मव है ? हम्र सब प्रकार
के ओतिक और आध्यात्मिक अमावो से मुक्त होना चाहते हैं, व्यक्ति को
रणं बनाना चाहते है, अनन ओर दाह्म मे सन्तुलठ इद्ाव्रित करना
দা है ! कोई भी व्यक्ति जो तेतक था कलाकार होने का दादा करता
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मनुष्य के रुप मे জীবিত হই অযতা ই । মু, অক হয ৬ নাই
हिदी के नए पद्चानीफ़ारों झा मुरूप लदर मानव को, मानबाररा को
ওযা ছাই हुए अपने देश बी सभी আরা কী বিভতিা ছু হা
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