वर्तमान एशिया | vatraman Ashiya

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vatraman Ashiya  by बाबू रामचन्द्र वर्मा - Babu Ramchandra Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वसमान एशिया ` ४ इसके तीन बरस बाद अंगरेजोंने रूसके साथ जो समकौता किया, उसका तात्पय भी यही था कि भारत तक पहुँचनेके मार्गों- की रक्षा हो । रूस उधर फारसमें बहुत कुछ बढ़ गया था, अ्रफ- गानिस्तानकी सीमा तक भी पहुँच गया था और तिब्बतमें उपद्रव खड़ा करना चाहता था। इसी लिए १९०७ में अँगरेजोंको रूसियोंसे सम्धि करनी पड़ी। इसके उपरान्त और भी कई वर्षोतक अगरेज़ लोग भारतके जल और त्थल मार्गोंकी रक्षाका प्रबन्ध करते रहे: और अन्तमें गत महायुद्धफे कुछ ही पहले श्रेंगरेजोंका उद्देश्य पू रूपसे सफल होना चाहता था कि इतनेमें जमेनीने युद्ध ठान- कर बीचमें बाधा खड़ी कर दी। पर इस युद्धमे भी इस दृष्टिस अँग- रेजोंकी पूण विजय हुईं कि समस्त दक्षिणी एशियामें, भूमध्य सागरसे लेकर प्रशान्त महासागर तक, उनका अधिकार यशथेष्ट हृढ़ हो गया । जल-मागसे भारतकी रक्षा करनेके लिए अंगरेजोंने पश्चिममें अरब सागर पर, पूवम बह्गालकी खाड़ी पर तथा भारतीय महा- सागरसे इन सब स्थानों तक पहुँचनेके और सब मार्गों पर पूर्ण रूपसे अपना अधिकार करना निश्चित किया। अंगरेज लोग सारे समुद्रों पर अपना पूर्ण आधिपत्य इसलिए चाहते थे कि जिसमें टापू हमारे हाथसे न निकलने पावें; ओर अरब सागर तथा स्थाम- की खाड़ी तक पहुँचानेवोले जलडमरूमध्यों पर इसलिए अधि- कार रखना चाहते थे कि जिसमें उनके तट परके देश हमारे हाथ- से न निकल जायें ) लन्दन और लीवरपूलसे लेकर हांगकांग तक- का प्रदेश और समुद्र केवल जहाजी बेड़ोंसे ही रक्षित नहीं रह सकता था; इसलिए अंगरेज्ञोंने समुद्रमें दूसरी ओरके अनक स्थानों पर भी हृढ़तापूवंक अपना अधिकार जमाया । भारतके पश्चिमी मागे पर जिब्राल्टर, माल्टा, साइप्रस, मिस्र, अदन, पेरिस और




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