लेबे देव की नायिका | Lebe Dev Ki Nayika
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
180
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नाटक का अनुवाद करने के बाद तेदेव ने देशी पण्डितो को पदरवर्
सुनाया था। उन्होंने सराहा, संशोधन सुझाये । लेबेदेव इस देश के लोगों को
जानेता है। ये लोग गर्जव-तर्जन और प्रहसन पमन्द करते हैं । इसीलिए नाटश
में घोर ढूँढ़नेवाले चौकीदार की व्यवस्था थी ।
उसके भाषा-शिक्षक गोलोक दास ने वहा, “साहब, अभिनय किये बिना नाटक
का रस नहीं जमता 1 नाटक तो हुआ, अब अभिनय हो 1”
नेदेव ने कहा था, “गियेटर कहाँ है? तुम्हारे बंगाली अभिनेता-अभि-
नधौ क्ट ह?“
गोलोक दास वोना था, “तुम पियेटर फी व्यवस्या करौ । मैं अभिनेता और
अभिनेत्रियों का जौंगाड़ करता हूं 1
लेवेदेव कौ धात हल्की नहीं लगी थी। येगला यियेरर--तेयेदेव बा वंगा!
धिय्रेटर | एक बढ़िया और नयी बता होगी ।
“बहुत अच्छा,” लेवेदेव ने कटा, “तोन महीने, मात्र तीन महीने के भीतर
मैं बंगला थियेटर खोलूगा । तुम बंगाली अभिनेता-अभिनेत्षियों का जोगाड़ करो 1
लेकिन काम दोनों ही का सरल नहीं था। तीन मास के भीतर पियेटर की
व्यवस्था करनी होगी । बहुत-सा रुपया लगेगा। लगे भले हो बहुत-सा रपया।
लेचेदेव भाग्य से जुप्रा खेलेगा। चाहे रोजगार करना पड़े, कज-ठघार सेना पढ़ें,
वहू तीन मास के भीतर एक ऐसे थियेटर का निर्माण करेगा जिसका जोड़ इस
कलकत्ता शहर के देशी-विदेशी लोग कभी न पायेंगे । थियेटर के लिए अब
गवर्तर जनरल की अनुमति चाहिए । सर जान शोर अवश्य ही सुप्रश्तिद्ध वादक
को निराश नहीं करेंगे।
मगर बंगाली अभिनेता-अभिनेत्री ! वह दायित्व गोछोक दास का है। इसी
लिए गोलोक दास नट-नटी की खोज में निकला था। कलकत्ता शहर में খাম”
लीला, कवियों का दंगल (पेशेवर तुवकढ़ों के वास्युद्ध का खेल), कष्ण-यात्रा
आदि चल ही रही थी | गोलोक दास ने अभिनेता जुटा छिये। हरसुन्दर,
विश्वम्भर, नीलाम्बर तथा और भी कहइयों ने सेवेंदेव के सामने परीक्षा दी।
ইহ ক্ষ चलाने का जातिगत घन्धा छोडकर यात्रादल में आ मिला
है। विश्वम्भर हलवाई-सन्तान है । नीछाम्बर ब्राह्मण-पुत्र हैं। उनके घरों की
स्थिति अच्छी है, किन्तु नाटक-दल में धामिछ होने के छोम के चलते ये अपने
-झगड़कर भाग आये हैं। इनमे साहस है, स्वर की शक्ति है और
का कुछ ज्ञान भी है। सीय-पढ जाने पर ये पियेटर का ढर्रा
अपना ही लेंगे । मोलोकनाय ने एक के बाद एक कितनी ही रमपियाँ दिख-
+ क ^, +
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