चरचा शतक | Charcha Shatak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
170
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(५)
अकृत्रिम चेत्यालयोंकी प्रतिमाओंकी स्तुति ।
बन्दों आठ किरोर, लाख ठप्पन सत्तानों ।
सहस च्यारि सो असी, एक जिनमंदिर जानो॥
नव से पचिस कोरि, साख त्रेपन सत्ताइस ।
बंदों प्रतिमा सवे, नो सो अड़तालिस ॥
व्यंतर जोतिक अगणित सकल,
चैत्यालय प्रतिमा नमों ।
आनंदकार दुखहार सब,
फेरि नहीं भववन भममों ॥ ३ ॥
अर्थ-में तीनों लोकोंके आठ करोड, छप्पन लाख,
सत्तावन हजार, चारसो इक्यासी ८५६५७४८ १ अकृत्रिम
जिन मदिरो बन्दना करता हं ओर फिर उन जिन मन्दि-
रोम की नो सो पतच्चीस करोड त्रेपन लाख सत्ताइस हजार
नो सो अडतालीस ९२५५३२७९४८ प्रतिमाओंकी बन्दना
करता हूं । इनके सिवाग्न व्यन्तर भवनोंमें तथा ज्योतिषि-
योँके विमानोंमे जो असंख्थात प्रतिमाएं हैं, उन्हें नमस्कार
करता हूं, जिससे फिर इस संसाररूुपी वनमें श्रमण नहीं
करना पडे । वे सब मन्दिर ओर ग्रतिमाएं आनन्दकी करने-
बाली ओर दुःखोंकी हरनेवाली हैं ।
सिद्धस्तुति ।
लोकईस तनुवात सीस, जगदीस विराजें ।
शएकरूप वसुरूप, गुन अनंतातम छाजें ।
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