चरचा शतक | Charcha Shatak

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Charcha Shatak by नाथूराम प्रेमी - Nathuram Premi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नाथूराम प्रेमी - Nathuram Premi

Add Infomation AboutNathuram Premi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(५) अकृत्रिम चेत्यालयोंकी प्रतिमाओंकी स्तुति । बन्दों आठ किरोर, लाख ठप्पन सत्तानों । सहस च्यारि सो असी, एक जिनमंदिर जानो॥ नव से पचिस कोरि, साख त्रेपन सत्ताइस । बंदों प्रतिमा सवे, नो सो अड़तालिस ॥ व्यंतर जोतिक अगणित सकल, चैत्यालय प्रतिमा नमों । आनंदकार दुखहार सब, फेरि नहीं भववन भममों ॥ ३ ॥ अर्थ-में तीनों लोकोंके आठ करोड, छप्पन लाख, सत्तावन हजार, चारसो इक्यासी ८५६५७४८ १ अकृत्रिम जिन मदिरो बन्दना करता हं ओर फिर उन जिन मन्दि- रोम की नो सो पतच्चीस करोड त्रेपन लाख सत्ताइस हजार नो सो अडतालीस ९२५५३२७९४८ प्रतिमाओंकी बन्दना करता हूं । इनके सिवाग्न व्यन्तर भवनोंमें तथा ज्योतिषि- योँके विमानोंमे जो असंख्थात प्रतिमाएं हैं, उन्हें नमस्कार करता हूं, जिससे फिर इस संसाररूुपी वनमें श्रमण नहीं करना पडे । वे सब मन्दिर ओर ग्रतिमाएं आनन्दकी करने- बाली ओर दुःखोंकी हरनेवाली हैं । सिद्धस्तुति । लोकईस तनुवात सीस, जगदीस विराजें । शएकरूप वसुरूप, गुन अनंतातम छाजें ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now