मानवता के पथ पर | Manavata Ke Path Par
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
240
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[१५४ )
एयम् महायुद्धों था सूत्र पात होता है। 'मानयत्ता के पय पर' नामक इस
पुरतक में मानवता - उप्लायक प्रवचनों या नियधों फा संग्रह किया गया है ।
प्रत्येक प्रथलन प्रभाव पूणा एव प्रयाण रत्तम्म है। प्रयचन के धारग्म
में सम्पादक थी ओर मे एक टिप्पणी भी दी गई है णोप्रवनन का
सार प्रस्तुत करती है । ये प्रवचन जहाँ जिस स्थान पर हुए हें, उनका भी
सेत कर दिया गया है । सभी प्रवचन घठ़े विचारपूर्ण घोर पतल्याग-
कारी ह । इनमे जीवन फी प्रमैक पमस्याश्रों पर सुदरता पूरक विणद
विवेचन किया गया है | जैन साधु रान््त वस्तुत वटे त्यागी तपस्वी होते
हे । वैसी तितिक्षा श्रौर तपस्या प्रय्र क्षति -यून माप्राम पायी जाती
रै 1 झतएव प्रवचनों में जो भावनाएं व्यक्त पी गयी हैं, वे प्रनुशुति पं
प्र्थात् प्रनुगवात्मक हूँ । इनका प्रनाव द्मा पुन्नषः फे पाटको पर प्रवद्य
पड़ेगा श्रोर पडना चाहिये ।
হল स्वार्थान्च संसार में ऐसी माग दद्यक रचनाएं प्रवष्य हो
प्रकाश-स्तम्म या फाम करेंगी। इस प्राञ्जल प्रकादान फे लिये सम्पादय
एवम् प्रवचन-वर्त्ता भुनिराज श्री नाभ चद्रजी मानयत की
शोर से धन्यवाद के अ्रधिकारी हैं ।
शचूर सदन
श्रागरा । - हरिशेकर হালা
थावणी २०१७ वि
मोट --ध्ृष्ठ ६० पर 'मैले दिल! क्षीप॑क के प्रतगत उदू' का सैर अशुद्ध
ब्रिट है । पण्डित जी ने भ्पनी भुमिका में उसका शुद्ध रूप प्रस्तुत किया है,
--प्रकाप्क
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