श्रावक धर्म प्रकाश | Shravak Dharm Prakash
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सावकधस-प्रकाश ] [ २७
अरे जीव ! इस तीजत्र संक््लेशसे भरे संसारमें भ्रमण करते हुए सम्यग्दशनकी प्राप्ति
अति दुलेभ है । जिसने सम्यण्दगेन प्रगट किया उसने आत्मामें मोष्ष्का वृक्ष वोया हे ।
इसलिये सर्व उद्यमसे सम्यग्दशंनका सेवन कर ।
सम्यग्दशन भाप्त करनेके पत्नात् क्या करना वह अब चौथे शछोकमें करते हैं--
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৫
৫ 5 जीवनकी सफलता & ध
¢ अर्, जगतके जीव अपने चैतन्ययुखको भूलकर विपय-कपायमें %ঃ
£ सुख मान रहे हैं, परन्तु अपना जो चैतन्य सुख है उसकी सुरक्षाका ८4
¢ अवकाश नहीं लेते; उनका जीवन तो विषयोमें नपट्टठ हो जायेगा और 48
£ व्यथ चला जायेगा । विपर्योसे विरक्त दौकर आस्मिक सुखक्रे अभ्यासमें ९८
9 जो जीवन वीतता है वही सफल दे ।
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