भारतीय संस्कृति | Bhaaratiya Sanskriti

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Bhaaratiya Sanskriti by प्रो. शिवदत्त ज्ञानी - Pro. Shivdatt Gyani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भौगोलिक विवेचन & भासत । भारत के प्राधीन इतिहास कौ समझने के लिये इन विभागों को समझना आवदयकीय है । उत्तरीय मैदान हिमालय व्‌ विन्ध्याचल के मध्य में स्थित है, व इसमें पन्ञाब, संयुक्तप्रान्त, बिहार व बज्ञाल का समावेश होता है । इस मैदान में पत्थर का नाम नहीं है व इसमें से बहुतसी नदियें बहतीं हैं । परिणामतः यह बहुत उपजाऊ है । इसीलिये यहां मनुष्यों की आबादी भी बहुत घनी है । प्राचीन काल से ही यह भाग राजनैतिक परिवतैनोंका केन्द्र रहा है । आर्यों ने इसीमें अपनी संस्कृृतिको बिकसित किया, अपने बड़े २ साम्राज्य स्थापित किये व यहींसे दक्षिण पर अधिकार जमाया था । यहींपर मानव व एेलवंक्षीय, इक्ष्वाकु व पुरूरवस्‌ फ बंशजों ने अपने २ राज्य का विस्तार किया था । बाहंद्रथ, शेशुनाग, नंद, मौय्ये, गुप्त आदि साम्राज्य यहीं पर बने व बिगड़े । इस प्रकार भारत के राजनैतिक इतिहास में उत्तरीय मेदान का अधिक महत्त्व है। दक्षिण की उच्च- समभूमि के दोनों सिरोंपर, पूर्वी व पश्चिमी घाट पहाड़ हैं व विन्ध्याचल से तुङ्गभद्रा तक इसका विस्तार है । यह भाग उत्तरीय मेदान के समान उपजाऊ नहीं है । इसके मध्यभाग में घना जंगल है, जो कि आजकल मध्यप्रान्त के बैतूल, भंडारा, बालाघाट, मंडला आदि जिलों में स्थित है । इसे आजकल गोंडवाना” कहते हैं । प्राचीन कालमें यह “महाकान्तार” कहाता था, जिसका उल्लेख समुद्रगुप्त के स्तम्भलेख में किया गया है । इस भागने भी भारत के भ्राचीन राजनेतिक इतिहास में अपना हाथ यया था; यह उत्तरीय मैदान की बराबरी तो नहीं कर सका । चद्रवी ययाति के ज्येष्ठ पुत्र यदुने यहीं पर राज्य स्थापित कर अपना वंश चलाया था। राष्ट्रिक, आन्ध्र, चालक्य, राष्ट्रकूट आदि राज्यवंशों ने यहां राज्य किया व भारतीय संस्कृति के विकास में अपना हाथ बठाया । यहां के राजाओंने साधारणतया उत्तरभारत को जीतने के बैसे प्रयन्न नहीं किये जेसे कि उत्तरीय भारतीयों ने दक्षिण के लिये किये थे । अरोक, ससुद्रगुप्त, अकबर आदि के इस दिशा में प्रयल्ल सफल रहे । दक्षिण- मारत में प्राचीन कालसे ही पांज्य, चोल, केरल आदि राज्य स्थापित हुए थे । पुराण तो इन्हें भी उत्तर भारतीयों से ही सम्बन्धित करते हैं, किन्तु ऐतिहासिक दृष्टिसे यह कथन कहां तक ठीक है, यह कददना कठिन है । इस भाग क सिदश्द्रीपसे राजनैतिक सम्बन्ध विशेषं रुपसे रदह्य है । सांस्कृतिक दृष्टि से




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