यूरोप का इतिहास | Yurop Ka Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१९ नवीन काल इस समय इटली के लोग एकता के सत्र में नहीं बँधे थे, परन्तु विद्या तथा कलाकोशल में वे सब युरोप से श्रेष्ठ थे। मध्य- काल में इटलौ, विद्या का केन्द्र था। इसका प्रधान कारण यह भा कि इसाइई-धमम का केन्द्र रोम नगर इटली में ही था। इसी धार्मिक केन्द्र से आरम्भ होकर रिनासेंस समस्त युरोप में फेला तथा उसके उदय से मध्यकाल का समय इस भाँति गल गया जैस सूयं के उदय से वक्र | विशेषतया गिरजों में लेटिन तथा ग्रीक भाषाएँ जीवित थीं । अब इटलीवालों को उन्हें सीखने का शौक फिर पेदा हुआ । पीटाक, दान्ते आदि के प्रयत्नों ओर ग्रन्थों ने इन विद्याओं के लिये रुचि उत्पन्न कर दी, मृत-भाषाओं को पुनर्जीवित करने का प्रयन्न होने लगा । इसी समय कुस्तुन्तुनिया से भागे हुए विद्वानों ने इटली मं आकर विद्या की रुचि मे ओर भी प्रोत्साहन दिया । ये बातें बड़े महत्त्व की हुई । ज्ञानवृद्धि का सव से मह^्वपूणं फल धमसंशोधन हुआ । अव तक लोग धम की बुराइयों में हस्तक्षेप करने से बहुत डरते थे, परन्तु जब विस्तृत ज्ञान से उन्हें धर्म के असली रूप का पता लगा तब वे निर्भय होकर धार्मिक बुराइयों पर समालोचना तथा आक्तेप करने लगे । आविषध्कार--इसी काल में छापे की कल का आविष्कार हुआ, जिससे पुस्तकें अत्याधिक सस्ती हो गई तथा समम्त युरोप में नवीन ज्ञान फेलाने में सहायक हुई | अब तक विद्या पादरियों के अधिकार मे थी, परन्तु अब सवेसाधारण उसे सीख कर लाभ उठाने लगे । वारूद्‌ का आविष्कार भी इसी समय हुआ । अब तक




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