आधुनिक भारत | Aadhunik Bharat

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : आधुनिक भारत  - Aadhunik Bharat

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

शंकर दत्तात्रेय जावड़ेकर - Shankar Dattatraya Javdekar

No Information available about शंकर दत्तात्रेय जावड़ेकर - Shankar Dattatraya Javdekar

Add Infomation AboutShankar Dattatraya Javdekar
Author Image Avatar

हरिभाऊ उपाध्याय - Haribhau Upadhyaya

हरिभाऊ उपाध्याय का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन के भवरासा में सन १८९२ ई० में हुआ।

विश्वविद्यालयीन शिक्षा अन्यतम न होते हुए भी साहित्यसर्जना की प्रतिभा जन्मजात थी और इनके सार्वजनिक जीवन का आरंभ "औदुंबर" मासिक पत्र के प्रकाशन के माध्यम से साहित्यसेवा द्वारा ही हुआ। सन्‌ १९११ में पढ़ाई के साथ इन्होंने इस पत्र का संपादन भी किया। सन्‌ १९१५ में वे पंडित महावीरप्रसाद द्विवेदी के संपर्क में आए और "सरस्वती' में काम किया। इसके बाद श्री गणेशशंकर विद्यार्थी के "प्रताप", "हिंदी नवजीवन", "प्रभा", आदि के संपादन में योगदान किया। सन्‌ १९२२ में स्वयं "मालव मयूर" नामक पत्र प्रकाशित करने की योजना बनाई किंतु पत्र अध

Read More About Haribhau Upadhyaya

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
हिन्दुस्तान क्यों और केसे जीता गया १ १५ परच रहा था। उसकी मृत्यु के बाद दुराग्रह, दुमैल श्रौर दुभ्य॑ सनी युवक जब गद्दी पर बैठा तो वह यूरोपियन व्यापारियों और हिन्दू नागरिकों पर जुह्म करने लगा और सेठ- साहूकार घराने का अपमान करने लगा, तर इस घटना को अधिक गति मिली और उसी से भावी उत्तात शुरू हुआ। विशजुद्दौला ने अग्रेजों को अपने राज से तिकाल देने का निश्चय किया रोर डच श्रवा फ्रेंच लोगों की अपेक्षा ओ्रग्रेजों की तरफ अधिक ध्यान देने का इरादा किया | यह भी उसकी दृष्टि से ठीक ही था। उनकी छावनी ही सबसे बडी और सबसे सपन्न थी, उनका व्यापार सबसे बढ़ा - चढा था और हिन्दू व्यापारी - बे से उन्हीका श्रधिक निकट सम्बन्ध होगया था। अंग्रेजों को एक बार निकाल भगाने के बाद यरोपियनों की खबर लेने के लिए, उसे अवसर मिल सकता খা | १८२३ $० में राजा राममोहन राय प्रभृति बगाली नेताओ ने मुद्रण- स्वातत्य के सम्बन्ध में इग्लैशड के राजा के पास एक निवेदनपत्र भेजा था जिससे प्रकट होता है कि अगल ॐ हिन्दू खासकर सुशिक्षित हिन्दू नेताओं की श्रग्मे जी -राज के प्रति क्या भावनाएँ थी “८ 'हेन्दुस्तान के अधिकाश हिस्से पर सब्यों तक मुसलमानों का प्रभुत्व रह्य था, जिसमें यहोँ के मूल निवासियों के नागरिक और धार्मिक अधिकारों पर पदघात होता रहता था। परन्तु बगाली लोगों में शारीरिक पराक्रम की और कष्ट - तहन के साथ पुरुगर्थ करने की कमी होने के करण उनका धन- मान बराखार लूटा जाता या । उनके घम का अपमान होता था और मनमाने ढग से उनका खून बहाया जत्ताथा) फिर भी चे खीर तऊ मुसलमान राजेसत्ता के प्रति वफ़ादार रहे | श्रन्त को परमात्मा की अ्रपार दया से अग्रे ज॒ राष्ट्र को इन अत्याचारों शासकों के चशुल से बंगाल को मुक्त कराने की और उन्हें अ्रपनी छुच्छाया में लाने की प्रेरणा मिली | [ ___हंससे यद जाना जाता है कि अग्रेजों ने जब बगाल में अपनी सत्ता + माझकाए ০1010392855 19285 न 1 एप्रवाश्य 8962ण1९४ धागे 00% ०1 130081 01, 9 75, 00160 , [85 070091 >




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now