भारतीय इतिहास की रूपरेखा भाग - 2 | Bharatiya Itihas Ki Ruprekha Bhag 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
498
श्रेणी :
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No Information available about जयचन्द्र विद्यालंकार - Jaychandra Vidhyalnkar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४
भ्रप्गातो वो सगठित करना प्रारम्भ कर दिया था | तीसरे, गुजरात का वादशाह
बहादुसणाह राजपूताने पर विजय प्राप्त करने बी योजना बना रहा धा । भ्रसख्य
धन के स्वामी होने के कारण उसने बिहार झ्लोर बगात के श्रफगान सरदारों को
श्राथिक सहायता देने का वचन दे साथ ही आन्दोलन वरने का श्रायोजन क्या।
इस प्रकार चारो शोर हुमायू” की स्थिति को झोचनीय--बनान का प्रयत्त किया जा
रहा था। इन सबका सामूहिक परिणाम' यह हुआ कि हुमायू वो भारत की रम्य-
स्थली छोडकर फारस की ऊबड-खावड भूमि में रण सेमी पडी |
कामरों का पंजाब आक्रमण:--वाबर की मृत्यु के समय कामरौं काबुल
में था। इस श्रात को अस्करी के सुपुरदं कर एक पिशारा सेना ले वह भारतवर्ष पर
चढ़ भ्राया । उसने बहाना किया कि वह अपने भाई हुमायू” को राज्याभिषेक की
बधाई देने झा रहा है | हुमायूं कामरां की प्रहृति से भली-भाँति परिचित था। बहू
दस प्रकार घोल मँ ्राने वालान या} धत. उसने एफ प्रग्रदल परहिते ही उसकी
सेवा मे भेजा, जिसने पेशावर तया लमगान प्रात कामरां को भेट किए, परन्तु काम
इससे संतुष्ट न हुआ । वह वेढा भोर लाहौर पर श्रधिग्यर कर उसने समस्तं पजाव
प्रात अपने राज्य में सम्मिलित कर लिया सैनिक तैयारी न होने के कारण हुमायू
उसका वुछ न कर संका । इस प्रकार कावुल कधघार और पजाब क्रामरा के भ्रधिकार
में श्रागए । हुमायूँ' का कामराँ की इस कार्यवाही पर शान्त रह् जाना बहुत बडी
भूल थी । क्योकि इस देश पर अधिकार प्राप्त करने के वाद कामराँ हमायू” का सैन्य
प्रवेश सवथा चन्द कर सकता था। श्रफगानिस्तान तथा मध्य एशिया से सैनिक
भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए खबर तथा बोलान क॑ दर्रे रो श्राते थे, और সন
ये दोनों मार्ग कामराँ के अधिकार में थे । अतः वह् जिस समय चाहता इन मार्गों को
बन्द कर हुमायू” की सैन्य-शक्ति को प्रत्यत क्षति पहुँचा सकता था, जैसा कि उसने
किया था। दूसरे इप प्रकार चुप बैठने से मायू कौ निर्॑लतता सव सरदारो पर प्रकट
हो गई, झौर वह ঘা भी स्वच्छन्दता-पूर्वक हुमायू' के विश्द आचरण करने में
सलग्न हो गए 1 ५.४ `
बहादुरशाह से युद्धः--िहासनारूढ होने के कुछ समय पश्चात् हमायूँ को
अपने प्राभावशाली प्रतिद्वन्दी गुजरात के शासक बहादुरशाह से युद्ध करता पडा।
गुजरात भारत का श्रत्यन्त धनी तथा स्मृदसाती श्रान्त धा । उसका शासक वहादुर-
शाह अत्यन्त महत्वाकाक्षी पुरुष था । हमायू” से युद्ध बरने से पूर्व उसने मेवाड के
राणा समा की सहायता से मालवा पर विजय प्राप्त कर वहाँ के सुल्तान कौ बन्दी
ननावर अम्पानेर भेज दिया या; खानदेश, भ्रहमदनगर और बरार के बादशाह उसे
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