चरित्र चिन्तन | Charitra - Chintan

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Charitra - Chintan by छविनाथ पाण्डेय -Chhavi Nath Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जीवनका ऊहाज--आत्मरसूथम ६ तरफसे किसी दूसरी ओर आकर्षित नहीं हो सकते, उससे मुह मत मोड़ो । एक जाद्मी नप्तक खाना छोड़ना चाहता था । जब कभी वह इस बातका स्मरण करता तो नमक छोड़ना उसे पहाड़पर चढ़नेसे भी कठिन प्रतीत दोता। निदान उसने पहले सप्ताहके लिये नमक छोड़ दिया | एक दिन, दो दिन, तीन दिन, इस तरह वह सप्ताह बीता। उसने दो दिनकी अवधि ओर बढ़ा दी, चार दिन की और सप्ताह भरकी, पखवारे की, मास की। इस तरह धीरे धीरे उसका अभ्यास बढ़ता गया ओर उसने नमक खाना छोड़ दिया। यह एक उदाहरण है, पर इसकी तहमें जाइये तो आपको मालूम हो जायगा कि कितना भारी सिद्धान्त इसकी आइमें छिपा है। यदि इस तरह काम किया ज़ाय तो असफल होनेकी कोई गुज्ञायश नहीं दिखायी देती । ४0 <-




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