छत्रपति शिवाजी | Chhatrapati Shivaji Jeevan Charitra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
31.88 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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ही छुत्रपति शिवाजी...
सी वाग्युद्ध खूब सफलता से कर सकते हैं किन्तु जिनके ऊपर
महाप्रसुओं ने थोड़ी सी कृपा और भी कर दी श्रौर कोई सर
कारी पद सौंप दिया वे तो फिर सदा के लिए. इन
के बे-दाम कौड़ी के गुलाम बन जाते हैं। बातों ही से हमारे
अंग्रेज हमें शासन करने के अयोग्य सिद्ध करना चाहते
हैं इसलिये इनके बाबू लोग भी बाताँ ही से शपनी जाति
की योग्यता खिद्ध करने में तनिक भी कसर नहीं रखना
चाहते । इतिहास इस बात के सात्ती हैं कि जिस समय बा
से काम नहीं चलता था ओर इस देश के निवासियों से दृथि-
यार नहीं छाने गये थे उस समय तलवार. से काम पड़ता था)
तब भी उन विदेशियों और विधर्मियों के साथ न जाने किंतने
दी तलवार-बदादुर भारतवासी मिले हुए थे और थोड़े से
प्रलोभन में फंस कर अपने सगे सम्बन्धियों और साइयाँ तक
पर हाथ साफ करने में कुछ भी संकोच नहीं करते थे ! सच
पूछिए तो इतिहासों से यह बात सदा के लिए सब देशों के. ।
सम्बन्ध में सत्य सिद्ध है कि देश या जाति के लिए उसके... |
दुश्मन उतने अधिक भयंकर नहीं होते जितने खास अपने ही
_ वे भाई होते हैं जो किसी. स्वाथ॑ या प्रलोभन के. कारण देश या...
:ज्ञाति के दुश्मनों से मिले होते हैं। ऐसे देशद्रोहियों और
विश्वासघातियां की कमी कभी किसी देश में नहीं होती ।
......... जैसा ऊपर कहा गया है, हमार महाप्रभु तो
मात्र को--चाहे वदद जिस जाति या धर्म का हो--
स्वराज्य के योग्य बताते हैं। परन्तु दिन्दुओं के माथे इस
अपोग्यता का टीका मढ़ने के प्रयत्न में श्रपनी सूखंतावश हमारे
मुसलमान भाई भी इन महदाप्रसुआओं का निरन्तर साथ देते रहते
की किस समन पे
न यदि रमन सन... किस... बन...“ हा. दि
दमन: ... किए
जज एस .2-
कि. मिड फेस दिस पद
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