अस्तित्व के परमाणु | Astitva Ke Parmanu

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Book Image : अस्तित्व के परमाणु  - Astitva Ke Parmanu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एक अन्धी आस्था थी कतंव्य के प्रति, जो मेरी शत्‌, बनी । धमेपालन में असीम श्रद्धा ही, मेरी प्रगति में बाधक बनी। आकांक्षा मुझे ख्याति के किनारे लगाती, यह घोर तपस्या तो बेनाम बनी। भक्त की भक्तिही क्यों इस प्रकार मेरीग्यथा का कारण बनी? अस्तित्व के परमाणु / 1७




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