आज़ाद हिन्द फ़ौज | Ajad Hind Fauj
श्रेणी : समकालीन / Contemporary
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
194
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भारत में राष्ट्रीय सेना
नर-नारियोंके साथ युद्धरत सैनिकों और युद्ध वंदियोंकी भाविः
व्यवद्वार करना और युद्धके अन्त में उन्हें छोड़ देना उचित था;
रअूस्तु; और सुदूर व्यापी कारणों पर ध्यान देकर तथा युद्ध बंद
हो गया है इस बात पर विचार कर आर इण्डिया कांग्रेस कमेटी
रढ़ता के साथ यह मत घोषित करती है कि भारतकी स्वाधोनता*
के लिये (चाष कैसे हौ भ्रान्त पथसे वों न दो ) यल कसते कै
अपराध में यदि इन अफसरों और नर-नारियों को दण्ड दिया:
जायगा तो वद् वदी शोचनीयं घटना होगी । स्वाधीन अर नव्रीन
अरत निर्माण के महान् कारय मँ उनसे वास्तविक सहायता प्राप्त
दो सकती है । इस वीचमे ये बहुत अधिक कष्ट भोग चुके द ।
इसे उपर भी यदि उन्दं ओर दण्ड दिया जायगा तो न केवर
वह् जयुक्त होगा। अपितु असंख्य घरोंमें और सम्पूर्णम से-
भारतीयों कै हृदयम पीड़ा उत्पन्न होमौ भौर इससे भारत ओर
न्रिटेन कौ खाई ओौर भी चौड़ दो जायगी । আন: অলিভ সাং
सीय कंगरेस पूर्णर्पसे विश्वास करती दै कि इस सेने अफ-
स्ये और नर-नारियों को छोड दिया जायगा। आल इण्डिया
कांग्रेस यद भी आशा करती है. कि माया, वर्मा तथा अन्य
स्थानों के जिन असामरिक नागरिकोनि भारतीय ध्याधीनता संघ
में सहयोग दिया है. उन्हें भी किसी प्रकार परेशान नहीं किया
जायया और न फोई दण्ड हो दिया जायगा। अखिल भारतीय
ऑप्रेस यद भी जाशा करती है कि युद्ध सम्बन्धी किसी भी
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