श्री जैन सिध्दान्त बोल संग्रह भाग २ (छटां व सातवाँ बोल ) | Shree Jain Shidhant Bol Sangra Part 2

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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{३1 जेन साहित्य रूप बगीचो नव पह्वित षनी जाय तेमां संदेश नथी। श्री सेठियाजी ने लेमना आया जैन तत्त्व ज्ञान प्रत्थना प्रेम बदल धन्यवाद घटे छे । आ ग्रन्थ मां आत्मा,समकित, दंड,जम्बूद्वीप,प्रदेश , परमाणु.त्रस,स्थावर,पांच ज्ञान, श्रुतचारित्र धम, इन्द्रियोँ, कर्म, स्थिति, काय्यै, कारण, जन्म, मरण, प्रत्याख्यान, गुणस्थान, ओओणी, लोग, वेद्‌, -आगम,च्ाराधना, वैराग्य, कथा, जल्य, ऋद्धि, पल्योपम, गति, कषाय, मेघ, वादी, पुरुषा, दशेन वगेरे संख्या बंध विषयो भद-उपभेदां अने प्रकारो थी सविस्तर वणेववामां आच्या चै । आ श्रन्थ पाठशालाओं मां अने अभ्यासिओं मां पाव्यपुस्तक तरीके सृबज उपयोगी नीवड़ी शके तेम दे । श्रीसाधुमार्गा जैन पूज्यश्री हुक्‍्मी चन्दजी महाराज की सम्प्रदाय का हितेच्छु श्रावक मण्डल रतलाम का निवदनपत्र ८ मिति पोष शुक्ला १५. सं° १६६७) श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, प्रथम भाग। संग्रहकत्तो- श्रीमान्‌ सेठ भेरोंदानजी सेठिया बीकानेर | प्रकाशक- श्री सेटिया जैन पारमार्थिक संस्था बीकानेर । न्यो ०१) पुस्तक श्रीमान्‌ सेठ सा० की ज्ञान जिज्ञासा का प्रमाण स्वरूप हे । पुस्तक के अन्द्र वणित सैद्धान्तिक बोलों की संग्रहशैली एवं उनका विवरण बहुत सुन्दर रीति से दिया गया है। भाषा भी सरल एवं आकषेक है | पुस्तक के पठन सनन से साधारण मनुष्य भी जैन तक्वो का बोध सुगमता पूर्वक कर सकता है । पुस्तक का




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