श्री जैन सिध्दान्त बोल संग्रह भाग २ (छटां व सातवाँ बोल ) | Shree Jain Shidhant Bol Sangra Part 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
492
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand){३1
जेन साहित्य रूप बगीचो नव पह्वित षनी जाय तेमां
संदेश नथी। श्री सेठियाजी ने लेमना आया जैन तत्त्व
ज्ञान प्रत्थना प्रेम बदल धन्यवाद घटे छे ।
आ ग्रन्थ मां आत्मा,समकित, दंड,जम्बूद्वीप,प्रदेश ,
परमाणु.त्रस,स्थावर,पांच ज्ञान, श्रुतचारित्र धम, इन्द्रियोँ,
कर्म, स्थिति, काय्यै, कारण, जन्म, मरण, प्रत्याख्यान,
गुणस्थान, ओओणी, लोग, वेद्, -आगम,च्ाराधना, वैराग्य,
कथा, जल्य, ऋद्धि, पल्योपम, गति, कषाय, मेघ, वादी,
पुरुषा, दशेन वगेरे संख्या बंध विषयो भद-उपभेदां
अने प्रकारो थी सविस्तर वणेववामां आच्या चै । आ श्रन्थ
पाठशालाओं मां अने अभ्यासिओं मां पाव्यपुस्तक तरीके
सृबज उपयोगी नीवड़ी शके तेम दे ।
श्रीसाधुमार्गा जैन पूज्यश्री हुक््मी चन्दजी महाराज
की सम्प्रदाय का हितेच्छु श्रावक मण्डल रतलाम का
निवदनपत्र ८ मिति पोष शुक्ला १५. सं° १६६७)
श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, प्रथम भाग। संग्रहकत्तो-
श्रीमान् सेठ भेरोंदानजी सेठिया बीकानेर | प्रकाशक-
श्री सेटिया जैन पारमार्थिक संस्था बीकानेर । न्यो ०१)
पुस्तक श्रीमान् सेठ सा० की ज्ञान जिज्ञासा का
प्रमाण स्वरूप हे । पुस्तक के अन्द्र वणित सैद्धान्तिक
बोलों की संग्रहशैली एवं उनका विवरण बहुत सुन्दर
रीति से दिया गया है। भाषा भी सरल एवं आकषेक
है | पुस्तक के पठन सनन से साधारण मनुष्य भी जैन
तक्वो का बोध सुगमता पूर्वक कर सकता है । पुस्तक का
User Reviews
No Reviews | Add Yours...