जिन - सिद्धान्त | Jin Siddhant

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Jin Siddhant by ब्रम्चारी मूलशंकर देसाई - Bramchari Moolshankar Desai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जिन सिद्धान्त | ६ प्रभ--तैजस और कामोण शरीर किसके होते हैं ! उत्तर--सतर संसारी जीयों के तेजस और कार्माण शरीर होते हैं। प्रक्ष--धर्मास्तिकाय द्रव्य किसको कहते हैं १ उत्तर-बिसमें गति हेतुत्त नामका प्रधान गुण हो उसे धर्मास्तिकाय द्रव्य कहते हैं| जो लोकाकाश के वरा- वर असंख्यात प्रदेशी, निष्किय और निष्कण एक अखंड द्ृब्य है । जो जीप तथा पुद्गल के गमन करने में उदा- सीन निमित्त है | जैसे-मछी के लिये जल | प्रश्न--अधमोस्तिकाय द्रव्य किसको कहते हैं ९ उत्तर--जिसमें स्थिति हेतुत्व नाम का प्रधान गुण हो, भो लोकाकाश के बराबर असंख्यात प्रदेशी, निष्किय तथा निष्क॑प एक श्रवएड द्रव्य है, जो जीवै तथा पुद्गल के स्थिति रूप परिशमन करने में उदासीन निमित्त है। जैसे धूप के दिनों में थके हये मसाफिर के लिये पेड़ की छाया । प्रक्ू--आकाश द्रव्य किसको कहते हैं ! उत्तर--जिसमें अवगाहनत्व ताम का प्रधान गुण हो, जो अनस्त प्रदेशी निष्किय, निष्कंप एक अखएड रपद, जो सथ द्रव्यो फर स्थान देने के सिये उदासीन




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