काव्य की परख | Kavya Ki Parkh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)৮৯
করিশ্বন-্যাল্য ই उद्देश्य अथवा कग्रि-धर्म पर प्राचीन फाल
से लेकर श्रय तक म्मालोच्क] तथा श्रेष्ठ कवियों ने प्रपने श्रपने
मत प्रकट किए हि) उनके विचार्स में साधारंगतयः भिभिनता
= ঝট श ~ ५ ৬৬.
যা £। হল पवि धम के कुछ नियमों पर वे एक मत भी
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बास्तव में अग्रज़ा समालोचकों ने पहले ঘলে সাক
समालोचकों की विचार घारा को श्रपनाया और उसो के श्रनुसार
वे कात्य के गुग दोप का निशय करते रएे | क्रमशः अंग्रेज़ी
कलाकारों ने कुछ मीलिक नियम भी बनाए। परन्तु इन मौलिक
निर्मा क पद्ध ऑऔक समालाचर्का के श्रालोचना-यसूत्र की छाया
अबध्य प्रतीत दोतो हे |
अंग्रेज़ी समालोचना साद्दित्य का श्आारम्भ श्ररस्तू श्रथवा
रिस्टॉटिल की पुस्तक 'पोयेटिक्स” से होता है। श्ररस्तू ने
अपना पुस्तक में कुछ काव्य लक्षणों का उल्लेख क्रिया शरीर इस
उल्लेख में उन्होंने कुछ नियम गिनाए। उनकी धारणा
यह थी कि कबि की कला श्रनुकरण मात्र की कला है।
उदाहरण के लिए कवि सूर्योदय की लालिमा, सूर्यास्त व
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