प्रौढ़-रचनानुवाद्कौमूदी | Praudh Rachananuvadkaumudi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ६५) (१५) पारिभापिक श्ब्दफोदा-- शसम १६५ व्याकरण गे पारिभाषिक হা अकारादि क्म से पूणं विवरणे साथ दिए गए ्। सायमं प्ाणििके घूनादि भी दिए गए है | याकरण टीक समझनेके लिए इनका शान अनिवाय है | (२०) हिन्दी-सस्क्ृत गब्दकोश-- इस पुस्तक म प्रयुक्त सभी शन्द का इसम॑ सग्रह क्या गया है। अकारादि क्रम से हिन्दी शब्द दिए गणु द । इनके भागे उनकी सस्कृत दी गइ है । शब्दा पे आगे लिंग निर्देश आदिभी जरिया गया है । (२९) पिपयानुक्रमणिका--पुस्तक म॒ वित सभी प्रिपयो का दख परिनि मे अकारादि-क्रम स॑ उब्लेस है। प्रत्येक विषय फे आगे पृष्ठ सग्या के द्वारा निर्देश जिया गया है कि यह विय अमुक पृष्ठ पर मिलेगा । (7२) मुठुण--मुद्रण म हस्र और दीघ ऋ যা यह अन्तर रक्‍या गया है । इसे स्मरण रस । ऋ = हृस्व ऋ । व्र = दीप छ । पुस्तक की विशेषताएँ (१) इग्लिग्‌ , जमंन, प्रच और रुसी भाषाआंम अपनाद गद नयीनतम यैशनिर पद्धति दस पुस्तक मे अपनाई गई है | (२) प्रौढ सस्दृत जान के , लिए उपयुक्त समस्त व्याकरण अनुनाद सीर प्रौढ़ वाक्य रचना थे द्वारा अति सरल और सुश्रोध रूप में समझाया गया है | (३) केबल ६० अभ्यासों में ३०० नियमों कै दारा समस्त जू यस्यक्‌ व्याकरण समाप्त क्रिया गया है। नियर्मो के साथ पाणिनि के यूज़ भी दिए गए हैं। (४) ४८ बगों और १२ विशिष्ट शब्द-सग्रह्य क द्वारा सभी उपयोगी और आवश्यक शादों का सम्रह किया गया है) प्रत्येक अभ्यासम २५ नषु शब्द | १५०० उपयोगी शब्दा ओर धात॒ओं फा प्रयोग सिखाया गय है। (५) लगभग एक शष्ट ससत की लेकोक्तियां भौर मुद्ाघरो का प्रयोग रानुवाद यै दरार सिखाया गया रै । (६) परिशिष्ट में ल्गभग १००० मुभाषितों की 'मुमापित मुक्तावली विभिन्न ८८ विपर्योपर अकारादि-क्रम से दी ग” है। (७) सस्दृत साहित्य के उच कोटि के जन्य ग्रार्थों से अनुबादार्थ सन्दर्भों का सचयम क्या गया है। इनमे ल्ए उपयुक्त सरत मी दिए गए हं । (८) सभी प्रचल्ति 'पर्ब्दों पे रूपों का संग्रह क्या गया है | (९) १०० विश्येप प्रचल्ति घातुआ के दसों ल्पारों ते रूपों का संकलन धातुरुप-स्म्मनहं म॑ क्या गया हैँ । 'घातुरुप-कोपों म अत्युपयोगी ४६५ घातुआ के दरसों ल्वारों फे प्रारम्भिक रूप दिए यए. है साथ म उनके जथ, गए भर पढ वा मी निर्देश है । घातुएँ अकायदि क्रम से दी गई है । (१०) सभी उपयोगी याकरण का सपग्रह कया गया है। जैसे सीध विचार, कारव पिचार, खमा परिचार, निया विचार, कृत्य विचार, दित प्रत्यय विचार, खी प्रत्यय विचार आदि ।




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