स्वर्ग की सुन्दरियां | Savarg Ki Sundariya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
157
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्वर्गकी छुन्दरियां । 81
ठोक यह भो सही मानुस दोताथा लि दिनदेया খাল।
पमो रोद भाहि प्रधप्रदर्शंकि साथ फेपरोमिंद
हाने लगा । वहाँ चाजकनको तरह मोटर दोड़ासे दीड़ाते
लाने नायक शास्ता महो पा व नदत केसा भयंकर या
इसका ठोक ठोके षन्दाज भ पाजफन इमनोग नहा कर
मकते ; पपोकि वषा पिट सदम पघाजकम दिन्दुस्यान
মী হী লহী ह। इससे इस नहों सप्तर सकते कि হী
सिंइके ममयमें मिरोह्दीका शद्वस फमा भयानक था। सिफ
खारपोङ्ग काप्य थोडा यदत ममम सके तो समभ सके,
शद्दों तो ठमकों ठीक ठोक ममभमेका प्रस्यध साधन भव
इमारे यहाँ मी है! एमे विकट लङ्गलमें तौन दिनतक
पैदन चलकर तथा पेड्रॉपर रास विताकर और थासी रोटो
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पहुंचा । उप्त सालायमें पानो पोनेक लिथे सब क्षानवर प्राप्ते
चे । वद्दीं एक यटके पिगाल हक्षपर केमरोमिंड चढ़ गया।
পল वहां अस्त केसरो सिंध पानो पोने आया सव क्रिमरो-
सिने उसको पक तौर मारा। सिंहने छ्तांग मारकर उस
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प्ररद,सरा तोर सारा और भाप पेड़के साथ ताखावर्म जा
गिरा। फिर यहांसे निकलकर घायल भमत दए
और मुत्युके पाम पहुंचे हुए शेरफे निकट जाकर भालिसे
শষ बेघ दिया । पहला तोर सलगनेपर उम्र कैसरौने
जो भयंकर गर्शना की थो उम्से सारा यन और छमके
भन्दरके मव घन्त्, दल गये ये।
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