भारतवर्ष का भूगोल | Bharat Varsh Ka Bhugole

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Bharat Varsh Ka Bhugole by रामनारायण मिश्र - Ramnarayan Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तीसरा अध्याय की शहर की हैं । अगर समुद्र की गददराई २०० गज कम हों जावे तो लड़ा [ भी श्रौर आगे प्राय: ५०० सील तक सूखी भूसि निकल जहां भारतवर्ष से पैदल जा सकते हूं । पच॑तीय प्रदेश विशाल हिमालय पंत दुनिया भर के पहाड़ों से कहीं मधिक ऊँचे हैं । इनकी पव॑त-श्रेणी पामीर ( वासे दुनिया या संसार की छत से आरस्भ दोती है । दक्षिण-पू्व की शोर मुड़ले के कारण इस पवत श्रेणी का झाकार तलवार के समान हो गया है । इस चत्तरो पनतीय प्रदेश में हिस/लय की एक ही श्रेणी नद्दीं है । वास्तव में यहां कई ३--पढ़च्गांव का पर्वतीय दृश्य श्रोर पुल पवचत्त-श्रेणियां हें । इनके बीच में ठुगम हिमागार ौर डरावनी चाटियां हैं । इस पएवंतीय प्रदेश के दक्षिण में सिघ 'छौर गड्ठा का चपजाऊ शौर नीचा सैदान है । इसके इत्तर में तिव्वत का प्राय: तीन




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