भारतवर्ष और उसका स्वतंत्रता संग्राम | Bharat Varsh Aur Uska Swatantrata Sangram

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Bharat Varsh Aur Uska Swatantrata Sangram by सुख सम्पतिरय भण्डारी - Sukh Sampatiray Bhandari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पर रथ श्र मारतवर्ष श्रौर उसझा सिं० हन्टर का कथन है दि में प्रजातत्य सरकार थी । सभा के सदस्य दो सम्भवतः नयर कर श्रपुन्ध क्ते थे ) दस सभा मे अनेक राजनैतिक दर्खों के शतालुपायी म्रतिजिधी थे ! नगर को घबस्य ये दी सुचारू रप से संचालित दिया जाता है 1 नगर निमाण-कला का विकास मोहिंजोदड़ी की नगर निर्माण प्रयाली यहीं सुन्दर शरीर दियद थी । सुचिस्यात पुरत्तत्वविदू थी दौक्षिन मद्दोदय का कथन है कि “सी सुग्दर '्रोर सुम्यवस्थित भणाली संसार के किसी भी प्राघीन दस मैं देखने को नहीं मिलती ।” मगर निर्माण के समय बहा के निवासों उचित स्थान घुनति मे अर इसके वाद थे बनाते थे । झूस नकरों में यद्ठ जाती था कि कहीं पर कौनसा मकान चनेगा और किस दिशा की अर प्रथा सर्द चनाई जारगी । सकें पक दूसरी से प्रायः समकोया पर कटी थीं 1 ये सदके सीधी थीं । एक छम्यी सदर, जिसको रॉसिपर्य जाम दिया गया है, पीन मौल तक साफ को गई हैं। यद सडक मरी रू पर ३३ फीट चौड़ी थीं । मलियों ३ फीट से ७ फोट सक चीठीं हंपसी थी । प्रधान यादें पूवे से पर्दिम या उत्तर से बुद्धि को जाती थी इन सबको पर स्थित भवनों को शुद्ध दया मिलती रही दोगो। हवा का एक संता एक कौने से दूसरे कौने तक की इवा को शुद्ध कर देता रहा होगा । इधर उधर की सब गलियों राजपथ से मिल जाती नमी । माय सभी सकें समानान्तर हैं । इस समय सबसे महत्वपूर्ा सच यद थी सो दक्तिए की जाती हुई स्वृप भाग को दी भागों जे चॉटती थी । इन सइसेों पर पहिंये वालो नीन यादियाँ पैदल अनुष्य अच्छी तरद चल सबते थे । लगर निर्माण की तर मीहंजी दर -तथा इइप्पा की तत्कालीन




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