स्वामी दयानन्द सरस्वती | Svami Dayanand Sarasvati
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
77
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ६ )
तरह सबका एक न एक दिन मरना होगा । इस
मोत से अमीर गरीब कोई नहीं बच सकेगा । यह
दुम्ब सव का सहना पड़ेगा । यह जीवन मचमुच
पानी के बुल्ले की तरह चंचल हे। जिस प्रकार
दो लकड़ियों के रगड़ने से आग पेंदा होती है
उसी प्रकार बहिन को झूत्यु से दयानन्द के हृदय
में भी एक आग पंदा हो गई जिसने संसार की
इच्छाओं की घास को जलाना शुरू कर दिया।
उस्र समय दयानन्द की अवम्था १८ वष की थी ।
कुल क्रो रीति क अनुसार “५ दिन तक्र लगातार
लाग आते जाते रहे । घर में रोना वना रदा किन्तु
दघानन्द के आंग्यों में आँख नहीं आये ! वे चुप्पी
सापे अपने चिन्तामें मगन रहते थे। बिछोने पर
पट २वेर्चोक पड़ते थे। वे यही सोचते थे कि
डस मोत की दवा कहां मिलेगी । अन्त में उन्हेंने
इस बात का पक्का इरादा कर लिया कि चाहे जिस
प्रकार से हो सुक्ति का मागं दूंगा अर सत्यु
के मुँह से छुटकारा पाऊंगा ।
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दूसरे वर्ष जब उनकी आयु १० वष की थी तो
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