गोस्वामी तुलसीदास | Goswami Tulsidas

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Book Image : गोस्वामी तुलसीदास - Goswami Tulsidas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जीवन-सामग्री १५ आज से कुछ वर्ष पूर्ष तक जो कुछ तुलसीदासजी के जीवन- चरित के विषय मे लिखा जाता था बह विशेषकर प्रियादास को टीका में दिए हुए कथानकों अथवा जनश्र॒तियों के आधार पर ही था । इन्हीं के आधार पर राजा प्रतापसिह ने अपने भक्त-कल्पद्रम” स, महाराज विश्वनाथसिंह ने अपने भक्तमाल” में ओर महाराज रघुराजसिंह ने राम-रसिकावलीः मे तुलसोदासजौ का चरित्र लिखा था | पंडित रामगुलाम द्विवेदी, पंडित सुधाकर द्विवेदी ओर डाक्टर ग्रिग्र्सन तथा अन्य कई आधुनिक विद्वानों ने तुलसीदासजी के विषय मे बहुत कुछ अनुसंधान की प्रवृत्ति दिखलाई । पंडित रामगुलामनी ने अपने स-संपादित राम- चरितमानस कौ भूमिका के रूप म तुलसीदासजी का जीवन-चरितः लिखा था | सुधाकरजी और निरसन साहब की खोजो का परिणाम समय समय पर इंडियन ऐंटिक्वेरी में निकलता रहा। मंशी बैजनाथजी और पंडित महादेवग्रसाद त्रिपाठी ने भी किंवदंतियों को एकत्र कर उनके जीवन-चरित की कुछ सामग्री प्रस्तुत की है। परंतु इतने पर भो तुलसीदासजी के जीवन चरित के लिये कोई निश्चित आधार न मिला। संबत्‌ १६६६ की ज्येष्ठ सास की 'सर्यादा! मासिक पत्रिका मे बाब इंद्रदेवनारायण ने तुलसीदासजी के एक बृहत्काय जीवनचरित कौ सूचना प्रकारित की । यह महाकाव्य गोसाइजी के शिष्य बाबा रघुबरदास का लिखा बताया गया था ।*इंद्रदेवनारायणजी ने इस ग्रंथ का परिचय यों दिया था-- इस ग्रंथ का नाम तुलसीचरित्र! है । यह बड़ा ही बृहत्‌ ग्रंथ है । इसके मुख्य चार खंड हैं--(१) श्रवध, (२) काशी, (३) नमेदा ओर (३) मथुरा । इनमें भी अनेक उपखंड हैं | इस ग्रंथ की संख्या इस प्रकार लिखी हुई है - चौ०-एक लाख तेंतीस हजारा । नौ से बासठ छंद उदारा ॥ यह ग्रंथ महाभारत से कम नहीं है। इसमें गोस्वामी जी के जीवनचरित्र* विषयक मुख्य मुख्य वृत्तांत नित्य प्रति के लिखे हुए हैं । इसकी कविता अत्यंत मधुर, सरल और मनोर॑जक है। यह कहने में अ्रत्युक्ति नहीं होगी कि गोस्वामीजी के प्रिय शिष्य महात्मा रघुबरदासजी-विरचित इस आदरणीय ग्रंथ को कविता




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