बड़ते वीर जवान | Badate Veer Jawan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
591 KB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about महोपाध्याय माणकचन्द रामपुरिया - Mahopadhyay Manakchand Rampuriya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)फूल खिले ,हैं :मधुपावलियाँ ,, __
ते
गुल-गुनं गीत युनाती;- ¡ ५1 || ५८. )]
दल के दल कलियों के आगे-
तितली नृत्य दिखाती।
-१
^
=
# ध]. লা 1५4...
पवन सुरभि ले कलि-कलि से-
मन्द-मन्द गुस्काता;
फूलों के सम्पुट मे भरकर-
सौरभ मधुर लुटाता।
आँखें टिकर्ती जहाँ-जहाँ पर-
वहीं-वहीं रूक जाती;
इस सौन्दर्य शिखर के सम्मुख-
सुषमा शीश झुकाती।
धरती का सौन्दर्य सिमट कर-
लगता शेष वहीं है;
इससे वढकर छटा मनोरम-
भू पर कहीं नहीं है!
नील गगन में झुण्ड-झुण्ड नित-
पंछी दिखते उड़ते;
शस्य~-श्यामला धरती को फिर-
देख अचानक मुड़ते।
वदते वीर जवान ~ 11
User Reviews
No Reviews | Add Yours...