बड़ते वीर जवान | Badate Veer Jawan

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Badate Veer Jawan by महोपाध्याय माणकचन्द रामपुरिया - Mahopadhyay Manakchand Rampuriya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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फूल खिले ,हैं :मधुपावलियाँ ,, __ ते गुल-गुनं गीत युनाती;- ¡ ५1 || ५८. )] दल के दल कलियों के आगे- तितली नृत्य दिखाती। -१ ^ = # ध]. লা 1५4... पवन सुरभि ले कलि-कलि से- मन्द-मन्द गुस्काता; फूलों के सम्पुट मे भरकर- सौरभ मधुर लुटाता। आँखें टिकर्ती जहाँ-जहाँ पर- वहीं-वहीं रूक जाती; इस सौन्दर्य शिखर के सम्मुख- सुषमा शीश झुकाती। धरती का सौन्दर्य सिमट कर- लगता शेष वहीं है; इससे वढकर छटा मनोरम- भू पर कहीं नहीं है! नील गगन में झुण्ड-झुण्ड नित- पंछी दिखते उड़ते; शस्य~-श्यामला धरती को फिर- देख अचानक मुड़ते। वदते वीर जवान ~ 11




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