चतु:शतकम | Chatu Shatakam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
385
श्रेणी :
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No Information available about भागचन्द्र जैन भास्कर - Bhagchandra Jain Bhaskar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(६)
६, महबर्ण, चुछ वर्ग, पातिमोक्ख ( २२७' नियमों का पूर्णों होता ),
विमायकल्यु, पेतवत्ख, घम्मंपद, केंचावत्थु
७, श्रल्लनिद स, महानिह स, उदानं, इतिवृत्तक, सुत्तनिषात, धातुकषा,
बमक, पट्टान '
¢, बुद्व॑स, चरियापिटक, भपदान
६. प्ररिवारपाठ
१०, खुददक पाठ
पिटक्रेतर साहित्य में अंदृुकृथा सहित्य, टीका साहित्य, टिप्पणियां লখবা
झनुटीकार्ये भौर प्रकरण { संग्रह, वेस, व्याकरण, काव्य, कोश ) प्रमुख हैं।
इनमें बुद्धधोष, धम्मपाल, कच्बायन, मोग्गलायन, बुद्ध रक्खित श्रादि विद्वान पालि
साहित्य के क्षेत्र में श्रधिक लोका प्रिय हुए हैं ।
प्रभी हमने पालि साहित्य को एक श्रत्यन्त संक्षिप्त रूपरेखा श्रापके समक्ष
प्रस्तुत की है। उससे इतनी तो जानकारी होती ही है कि पालि भाषा में
निबद्ध साहित्य मात्र त्रिपिटक नही, प्रत्युत संस्कृत माषा मे रचित साहित्य
जैसा उसमे वेविध्य मी उपलब्ध होता है । भ्राज भौ पालि भाषा साहित्य-सजनसे
बाहर नहीं हुई है। शोधकों भौर लेखकों के लिए इस साहित्य में प्रचुर सामग्री
मिल सकती है 1
मध्यकालीन प्रार्यभाषाओ्रों का श्रध्ययन परणं करने कै लिए पालि माषाका
बंशानिक झध्ययन प्त्यावश्यक है । उसने न केवल भ्राधुनिक भारतीय भाषाश्रों
को प्रभावित किया है, प्रत्युत सिहल, वर्मा, थार्लन्ड, चोन, जापान, तिब्बत,
मंगोलिया भ्रादि देशों कौ भाषाभ्रों के विकास में भौ उसका पर्मानि योगदान हं ।
दाशंनिक दृष्टिकोरा से भ्रष्ययन करनेवालो को इसमे दर्णन की भी विपुल
सामग्रो मिलती है । स्थविरव,द प्रौर भ्रन्य बौद्ध सम्प्रदायो के भरतिरिक्त वैदिक
और जैन दर्शनों का भी इसमे प्रसंगतः पर्या विवेचन हा ই জী उनके इतिहास
के परिप्रेक्ष्य में भरत्यन्त महत्वपूर्ण है। प्राचीन ऐतिहासिक झौर सांस्कृतिक
सामग्री के लिए तो पालि साहित्य एक झजल्न स्रोत है। अट्ुकवथारयें जो भ्रमी
तक समूचे रूप में नागरी लिपि में श्रप्रकाशित हैं, बिलकुल प्रछूती-सी पड़ी है ।
प्राचोन इतिहास के कालक्रम को निश्चित करने मं पालि साहित्य सर्वाधिक
सहायक सिद्ध हुआ है। जैन सांस्कृतिक इतिहास के विकास की जानकारी के
लिए तो पालि साहित्य सदंव झविस्मरणीय रहेगा । *
২৪০০১০০০১০৭ দি সিউল 55
१, इसके लिए देखिये, लेखक का ग्रन्थ “जैनिज्म इन दुद्धिस्ट लिटरेचर” ।
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