आयरलैण्ड का इतिहास | Ayarland Ka Itihas

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Ayarland Ka  Itihas    by बाबू रामचंद्र वर्मा - Babu Ram Chandra Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द आयलेंण्डका इतिहास- ४ सता स्पिन नरशारगनज फटा अपना पचास जनापाजाजपापाणा यॉमेंसे ३९2 ठाख केथोलिक, ५३ लाख प्रोटेस्टेण्ट, ४३ छाख प्रेसचि- टरोनियन्स, ६२ हजार मेथोडिस्ट और बाकी फुटकर धर्म्मपन्येंकि हैं । लोकसंख्याकी दृष्टिसि देखते हुए आयर्ेण्डके समान छोटा प्रान्त भारतमें मिलना कठिन है। क्येंकि छोटा नागपुर या उड़ीसा प्रान्तकी जनर्सस्या भी आयर्लैण्डकी संख्यासे चार पाँच ठास अधिक होगी 1 गुजरात प्रान्तसे कुछ अधिक और मध्यप्रान्तके छः जिलॉंसि कुछ कम आयर्दैण्डकी जन-सं- रवया होगी । ऐसे इस छोटेसे देशके संबंधमें एक दो बातें विशेष उद्लेखयोग्य और महत्त्वपूर्ण हैं । एक तो आयरण्डें शिक्षाका प्रचार हिन्दुस्तानको देखते हुए बहुत आधिक है । क्योंकि वहाँ ९६ काठेज हैं; जिनमें साढ़े चार हजारसे अधिक विद्यार्थी पढ़ते हैं । और सारे समाजप्रेंसे छगमग ७० प्रति सैकड़ा लोग लिख पढ़ सकते हैं । राजनीतिमें भी आयरिश ठोगोंका प्रवेश इसी हिसाबसे है । भारतके किसी प्रदेशकी व्यवस्थापक सभामें जितने बड़े प्रान्‍्तसे केवल दो सभासद चुने हुए रहते हैं, उतने ही विस्तारके आयैण्डसे तिटि्ञ पार्कमेण्टमे प्राय: सौ सभासद चुने हुए रहते हैं । इससे पता लग जायगा कि राजनीतिमें वहाँवाठे हम लोगोंसे कितने आगे हैं । अब हम यह दिखलायेंगे कि, इस देशका पूर्वेतिहास क्या है, इस समय इंग्ठेण्डके साथ उसका कैसा सम्बन्ध है, उसने अपने सामने कौनसा ध्येय रक्खा है, उसे प्राप्त करनेंके लिए उसने कोनसे उपाय किये हैं और कहाँ तक उसे प्राप्त किया है ।




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