भूदान - यज्ञ (नाटक) | Bhoodan - Yag (Natak )
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
129
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१५ भदान-~यने
है उससे मे आखे नही मूंद सकदा और न किसी को कह सकता कि वह
इस गरोबी के, परदाह न करे। इस गर्रजी को पूर्र। तौर से पहचान
इसे दूर करने के लिय्रे हमे सारो कोश्षिश करन हे ।
कुछ व्यक्षित--प्रेशव'। बेशक ।
खड़ा हुआ व्यक्ति--यह देश कितना गरव ह इसको जानकारी
के लिये आपका उत्तरप्रदेश, जो इस देश का सबसे बड़ा सूच। है, उसके
सबसे घड़ें जिले गोरखपुर के गाद का ही एवं इश्य मेने सिनेमा के एक
फिल्म मे उतारा हूँ 1
एक व्यक्ति--अच्छा, हमारा जिला गोरखपुर ?
शडा हुआ व्यक्षिट--(बीच ही में) जी हा, यह दू.दय हूँ उन
गरीवो का पोवर में से अनाज के दाते चुत, उन्हें घोक र सुखाने, फिर
अपनी रूबी सूखी रोटियों के लिय उन दानो कै भादा पसन भर उस
आटे की रोटिया खाने का, जिसका हाल आप लोगो ने भी सुना होगा।
एक व्यक्ति--हा, हा, सुना है )
दूसरा व्यक्ति--सुना बया आखो से देखा हैं। और इस दृश्य को
देखकर आखो ने चौयारे आस्रु यहाये दं ।
तंतसरा व्यक्षि---( खडे होकर, छड़े हुए व्यक्षित से ) शायद
आप इस सदब म एवं बात न जानते होग, जो मुझ मालूम हैं ।
खड़ा हुआ व्यक्षि--कौत सी ?
तोघतरा ध्यकित---जों ये गोवर में से अनाज के दाने चुने जतते हे,
उनका भू, ठेवा होता हैं, जिसके सेत में से गं।कर वे दाने चुत जाते
हैँ उम्र जा सबसे ज्यादा कीमत देता हूँ उसे ही गोवर मे से दाने चुनने
बाद अधिकार मिलता हूँ 4
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