हीरक प्रवचन | Heerak Pravachan

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Book Image : हीरक प्रवचन  - Heerak Pravachan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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& श्नम्‌ धरम्‌ नमः ® चरणविह्न अम्भोनिधो चभितभीपणनक्रचक्र- „ पाठीनपीठभयदोल्वणवाडवाग्नो | { रंगत्तरंगशिखरस्थितयानपात्रा-- ख्ासं विहाय भवतः स्मरणाद बजन्ति ॥ धमक श्रीमानतुङ्गाचाये ने अपने लोहमय बन्धर्नो को छिन्नभिन्न फरने के लिए भगवान्‌ ऋषभदेव फी स्तुति फा निर्माण किया। षी स्तुति अपने श्राय पद्‌ क्तामरः के फारण भक्तामरस्तोत्र के नाम से प्रसिद्ध हुईं। इस स्वोन्न फे ४४ वें पद्य में घाचायें सद्दाएज कहते 8-- हे जगद्द्धाधक । आपके समस्त संतापों फा शमन भ्यते घाले १रमपावन-नाम में अद्भुत सामथ्ये दवे।- कोई यात्री किसी महासागर में यात्रा कर रहे हों। वह सहासागर क्षोम फो प्राप्त भयानक भगरों, पाठीनों और पीढों से भरा हुआ हो। उसमें




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