हम सौ वर्ष कैसे जीवें | How to Live a Hundred Years

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How to Live a Hundred Years by केदारनाथ गुप्त - Kedarnath Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १७ 9) फला स्थान कटरते हेः । जिस प्रकार शरीरके कुछ शङ्गः मिलकर शरीर के पोषण का कायं करते है--श्र्थीत्‌ जिन भङ्गो द्वारा भोजन पचता है तथा शरोर के आवश्यक आवश्यक पदाथ ग्रहण किये जाते हैं--उस विभाग को पोषण संध्थान कहते हैं। वैसे ही और दूसरे संस्थान हैं। शरीर निम्न-लिखित विभागों ( संस्थानों ) में विभाजित है:-- (१) आधार संस्थान (२) प्रेरक संस्थान ( ३) बात संस्थान ( ४ ) मल-मृत्र-वाहक सस्थान ( ५ ) श्वासोच्छवास संस्थान (£) रक्त भोर रक्तवाहक संस्थान ( ७ ) उत्पादक संस्थान (८ ) विशेष ज्ञानेन्द्रिय संस्थान ( ९ ) पोषण संस्थान ( १ ) आधार संस्थान हु यदि हम शरीर से कामल च्रङ्घो-जेपे खाल, मांस, सचा इव्यादि-को गलाकर या कार्ड कर शरीर से निकाल दें तो केवल हड्डियों का सखाँचा मात्र बाक़ो रह जायगा। यह ढाँचा बहुत सी हड्डियों के द्वारा बना है। इस ढाँचे को अस्थि-पंजर भी कदते हैं । अस्थियों के काय-(१) अस्थियों से शरीर में ददता आती है | यदि मनुष्य के शरीर में अस्थियाँ न होतीं तो मनुष्य का शरीर मांस के एक लोथड़े के समान होता; उसमें हाथ, पेर इत्यादि आकार मात्र भी न होते। (२) अस्थियाँ कोमल भड्ों को सहारा देती हैं और उनकी रक्षा करती हैं। जैस हमारे फुफ्फुम ( फेफड़े ) की रक्षा के लिए पसलियों और पीठ की कुछ हड्ियों को मिला कर एक डिब्वा बनाया गया है। (३) अस्थियों ही के सहारे हम अपने शरीर को हिला सकते हें, क्‍योंकि চে




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