हम सौ वर्ष कैसे जीवें | How to Live a Hundred Years
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
210
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १७ 9)
फला स्थान कटरते हेः । जिस प्रकार शरीरके कुछ शङ्गः
मिलकर शरीर के पोषण का कायं करते है--श्र्थीत् जिन भङ्गो
द्वारा भोजन पचता है तथा शरोर के आवश्यक आवश्यक पदाथ
ग्रहण किये जाते हैं--उस विभाग को पोषण संध्थान कहते हैं।
वैसे ही और दूसरे संस्थान हैं। शरीर निम्न-लिखित विभागों
( संस्थानों ) में विभाजित है:--
(१) आधार संस्थान (२) प्रेरक संस्थान
( ३) बात संस्थान ( ४ ) मल-मृत्र-वाहक सस्थान
( ५ ) श्वासोच्छवास संस्थान (£) रक्त भोर रक्तवाहक संस्थान
( ७ ) उत्पादक संस्थान (८ ) विशेष ज्ञानेन्द्रिय संस्थान
( ९ ) पोषण संस्थान
( १ ) आधार संस्थान हु
यदि हम शरीर से कामल च्रङ्घो-जेपे खाल, मांस, सचा
इव्यादि-को गलाकर या कार्ड कर शरीर से निकाल दें
तो केवल हड्डियों का सखाँचा मात्र बाक़ो रह जायगा। यह ढाँचा
बहुत सी हड्डियों के द्वारा बना है। इस ढाँचे को अस्थि-पंजर
भी कदते हैं । अस्थियों के काय-(१) अस्थियों से शरीर में ददता
आती है | यदि मनुष्य के शरीर में अस्थियाँ न होतीं तो मनुष्य
का शरीर मांस के एक लोथड़े के समान होता; उसमें हाथ,
पेर इत्यादि आकार मात्र भी न होते। (२) अस्थियाँ कोमल
भड्ों को सहारा देती हैं और उनकी रक्षा करती हैं। जैस हमारे
फुफ्फुम ( फेफड़े ) की रक्षा के लिए पसलियों और पीठ की कुछ
हड्ियों को मिला कर एक डिब्वा बनाया गया है। (३) अस्थियों
ही के सहारे हम अपने शरीर को हिला सकते हें, क्योंकि
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