कबीर साहब का सखी-संग्रह | Kabir Sahab Ka Sakhi Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
45.86 MB
कुल पष्ठ :
201
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं. महावीर प्रसाद मालवीय - Pt. Mahaveer Prasad Malviya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दर छकवीर साखी-ख' ग्रह
कर कमान सर साथि के, खेचि जा मारा माहि।
भीतर बि पे से मरि रहे, जिवे थे जीवे नाहिँ ॥८९॥
जबही. मारा खेचि के, तब मैं मूआ जानि ।
लगी चाट जा सबद की, गढ़ कलेजे. छानि ॥८२॥
सतगुरू मारा बान भरि, डाला. नाहिं. सरीर ।
कहु चुम्बक क्या करे सके, सुख लागे वेोहि. तीर ॥८३॥
सतगुरु मांग तान. कर, सबद सुरंगोी बान ।...
श्रेरा मारा फिर जिये, ता हाथ न गहूं कमान 1८2
ज्ञान कमान आओ लव गुना , तन तरकस मन तीर ।
मलका* बहै तत सार का, मारा हदफ' कबीर ।॥।८४॥।
कड़ी कमान कबीर की, घरी. रहै. चागान ।
केते जाघा पचि.. गये, खींचें संत सुजान ॥८5॥
लागी गाँसी सुख भया, मरे न जोवे केोय ।
कहै कबीर से अमर भे, जावत मितेक हाय ॥८७/।
हँसे न. बाले उनम॒नी, चंचल मेला. मार ।
कबीर अंतर बेथिया, सतगुरु का... हथियार ॥८८॥।
गंगा. हुआ... बर्वरा, बहिंरा. हूआ कान ।..
पॉयन से पंगुला हुआ, सतगुरु मारा. बान 15९0
सतगुरू मारा बान भरि, टूदि गया सब जेब ।
कहूँ आपा कहूँ आपदा, तसबी कहूँ , कितेघ ॥९५॥
सतगुरू मारा प्रेम से, रही. कटारी. टूट ।
वेंसी अनी न. सालही, जेपी. साले... मूठ* ॥९१॥
(0 कमान को डोर । (२) गाँली । : ३) निशाना । (थ बदल यानी मे थे.
मार के दटा दिया झौर डनपुनी दशा प्राप्त हुई । (५) ज़ेबाइल, साज्ञ सामान ।
(६ ) झनी अझधांत नेक कटोरी का जो टूट कर हृदय में रद्द गई वह इतना
कष्ट कद देती है जितना सूठ का बाइर रद्द ज्ञाना, यानां प्रेम कटारी समूची क्येँ
नचुखशद् |... ........ ..... पर, ,सप गि
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