गोलमाल | Golamal
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
267
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रसिकता मौर रसोली याते १९१
৭
आपं १ पपि सवमाजपे पष कीतिं पयि दप मद्ाकपि शेषखपिपर
कद गये ऐै,-“नामसे दया काम | गुणफा मान दे सप ठौर ही।
देगा गुलाव सुगन्ध घादेमाम रण लो भौर दी ११७ दम कवि नहीं
९, इसीलिये इस बातफो मानमैफे लिये तैयार नहीं | दमारा यद
डीक पिश्वास है, कि नामसे भौर कुछ दो चादे नहीं; पर उससे
देशकी यसि और-सामपिझ प्रहमतिकी तद्तकफा पता चल जाता
है। आजसे पचास थर्ष पदले इस देशफे भले आदमी देची
दैपताभंकि नामक सिया लड़फे-छड कियोंफे और नाम লহ रफते
धे । इससे शिवनाय, शस्भुनाय, पैचनाथ, भीलछानाथ, चातुर,
#ष्णप्रसाद, शुरुप्रसाद और दुर्गोप्रसाद আহি मामी सप जगद
झुन पड़तें थे আজ তল धर्म-मायका रोपो गया टै, सीते
माम रखनेगे भी फेशन घुस गया है।
प्राचीन आर्य-बोरोंके नाम भरत, शथुप्त, भीष्म, स्न,
सदेव, सात्यकि, दुर्योधन सीर मोम जादि हीते छे ; ऋषियोंफे
नाम घास्मीकि, विश्वामित्र, यसिप्ठ और व्यास आदि दोते थे |
शास्रकारोंके नाम पाणिनि, पर्तजलि, फास्पायन और कणादि
आदि रफे जाते थे और देशफे सर्ववाघारण मलेमानर्सोफ्रे नाम
शतानन्द, छुरजित्, पुएडरीक भर प्रहूछाद भादि हुआ कर्ते
थे। थोड़े दिन पदछे ही इस देशरमें शिवाजी, प्रतापसिंद, संप्राम-
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$४९९६(---
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