फिरंग रोग | Phirang Rog
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
189
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
इन्द्रसेन शर्मा - Indrasen Sharma
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डॉ आशानन्द जी - Dr Aashanand Ji
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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हित को दृष्टि में रल कर किया गया है । সারা भाषा की सहायता
या उच्चति को दृष्टि में नहीं रक््खा गया है ।
इस बिषय की पुस्तकों में चित्रों की अ्रत्यन्त आवश्यकता है पर
घनाभाव के कारण दु:ख है कि चित्रों का समावेश नहीं किया जा
सका | दूसरा कारण यह भी हें कि यदि चित्रों का समावेश किया
जाय तो पुस्तक का दाम संहगा हो जाय | दाम अधिक होने से पृस्तक
पर्याप्त संख्या में न बिक सके और इस कारण इसकी उपयोगिता
बहुत 5म हो जाय । पर यदि वेद्य संखार ने अपनाया तो पुनरा-
कृत्तियाँ में चित्रों का समावेश अवश्थ किया जायगा |
पडिले मेरी दृच्छा फिरंग आर सूज़ाक दोनों विषयों की एक ही
पुस्तक लिखने को था | पर पहिले कुछु अध्याय लिखने के बाद इस
विचार को बदलना पड़ा ओर इन लिखे हुए अ्रध्यायों की काट छांट
करनी पड़ी । आशा है कि इस फिरंग की पुरतक के बाद मूज़ाक विषय
की पुस्तक भी शीघ्र द्वी भट की जा सकेगी ।
में इस पुस्तक के लिखने में उन सब लेखकों का ऋणी हूँ
जिनकी पुस्तकों से मैंन थोढ़ी बहुत सहायता की है। इन पुस्तक
खेखकों के नाम पुस्तक में यथा-स्थान दे दिए गए हैं ।
मै स्वनामघन्य श्रीमान् डाक्टर श्राशानन्द् जी का ्मत्यन्त अनुग्ृहीत
हं | उन्हों ने उत्कट काय व्यग्र होते हुए भी पना অনু समय
निकालकर इस पुस्तक को आद्योपानत पढ़ने का कष्ट किया है | और
तत्पश्चात् एक, इस पुस्तक की चनुरूप, सारगभितं एव मार्मिक भूमिका
जिख कर मुझे तायं ज्या है. पुस्तक का अवलोकन करते हुए
उन्होंने अपने अनुभव पूर्ण निर्देशों से इस पुस्तक की श्रटियों और
कमियों को ओर मेरा ध्यान कई बार आकबित किया है | यद्यपि उनकी
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