माणिभद्र : पुष्प - 38 | Manibhadra : Pushpa-38
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मोतीलाल भड़कतिया - Motilal Bhadaktiya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)® ® ® ७ ७ 6 0 ७ ७ ० 6७0०9०0०%०४८९((७९७७००७०७०७०७०७०७७७७७७७००७७७७४७७ ७४५०७ *$९७७७७ ७७ ७७७७७७
योगदान प्रदान कर अर्जित द्रव्य का सही सदुपयोग कर
अक्षय पुण्योपार्जन की प्राप्ति के मुअवसर का सौभाग्य
प्राप्त कर तीर्थ जीर्णोद्धार में भागीदार बन सकें, इसलिए
० 1995 को भूमि पूजन एवं दशमी दिनांक 1 दिसम्बर, 95
° को शिला स्थापनाओं के साथ ही तीर्थ जीर्णोदार का कार्य
* प्रारम्भ हो गया, जो निरन्तर चल रहय है । विरामी निवासी
4 श्री बाबूलाल हेमराजजी, सोमपुरा की देखरेख में जिनालय
* का निर्माण हो रहा है।
« तीर्थं जीर्णोद्धार की महिमा ; शास्त्रों में
° जिनालयों के जीर्णोह्यार की महिमा वताते हुए कहा है कि
° 'जीर्णोदार करावता आठ गुणा फल होय । नूतन जिनालय `
° वनाने से जीर्णेद्धार को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। जिनालयों
* में भी ऐसे प्राचीन एवं तीर्थ रूपी जिनालय के जीणद्वार
° के महत्व एवं महिमा का वर्णन तो ज्ञानी-गुरुजन टी कर
° सकते है । एक तरफ भगवान श्री पदमूप्रभुजी का तीर्थ
पदमपुगा एवं दूसरी तरफ पास में ही श्री ऋषभदेव प्रभु का
° तीर्थ बरखेड़ा होने से यह क्षेत्र जैन धर्मावलम्बियों के लिए
० आत्य कल्याण व आराधना का महत्वपूर्ण साधना स्थल है।
० निकटवर्ती क्षेत्र में ऐसा कोई श्वेताम्बर तीर्थ नहीं है।
: आर्थिक योगदान हेतु विन निवेदन आर्थिक योगदान ठेतु विनम्र निवेदन
ॐ
‡ कार्य बहुत विशाल एवं योजना महत्वाकांक्षी है
* जिसकी क्रियान्विति एवं पूर्णता अखिल भारतीय स्तर से
० प्राप्त आर्थिक सहयोग से ही पूर्ण हो सकेगी। श्री जैन
* श्वेताम्बर तपागच्छ संघ, जयपुर अपनी ओर से भरसक
* प्रयत्नशील है ओर आठ महीने के अत्य समय मेँ टी अपने
° स्रोतों से टी लगभग पच्चीस ला सूपयों की रशि का
° उपयोग किया जा चुका है। एक हाल, दो कमरे, शौचालय,
० सस्नानघर आदि बना कर यात्रियों के आवास एवं रात्रि
* विश्राम की समुचित सुविधा उपलब्ध कया दी गई है। प्रथम
* चरण मेँ भव्यातिभव्य जिनालय का निर्माण एवं दूसरे चरण
< मेँ बड़ी धर्मशाला, भोजनशाला आदि बनवाने की योजना है।
कं अखिल भारतीय स्तर के संघ, तीर्थ-पेढ़ियां एवं
+ 2 টুনি
০ ১২ ¢ ¢
9,
10.
তব
चयनित स्थानों की नंकरां
गर्भ गृह
मण्डोवर
शिखर
रंग मण्डप
() खम्मे व पाट
(1) दादरी
(1) सामरण
ब्रिन्चीकी (दो)
श्रृंगार चीकी
श्रृंगार चौकी के झरोखे :
जिनालय का मुख्य प्रवेश दार
(3 दरवाजों में) ४
सम्पूर्ण जिनालय के मार्वल के
पाटिए एवं फर्श
एक ईट का नकरा
रु. 5,11,111
र. 15,11,111
रु. 11,11.111
र. 11,11,111
रु, 1211111
र. 9,11,111
र. 5,11.111
रु. 5,11.111
रू, 51,111
ठ. 15,11,111
रू. 3.11
एक ईंट का नकरा रू 3,111 निर्धारित किया है।
योगदानकर्ताओं के नामोल्लेख मार्बल के शिलालेख पर
अंकित किये जायेंगे।
अतः भारतवर्ष के समस्त संघों, पेढ़ियों, तीर्थ-ट्रस्टियों
एवं प्रत्येक श्रद्धालु भाई बहिन से विवरम निवेदन है कि पेते
महान एवं ऐतिहासिक तीर्थ के जीर्णोदार मे उपरोक्त
योजनाओं में अथवा भावनानुसार अधिक से अधिक
आर्थिक योगदान करने की कृपा करें।
अपने आर्थिक सहयोग का नगद/चैक/द्वाप्ट श्री जैन
श्वेताम्बर तपायच्छ संघ, जयपुर के नाम से भिजवाने की
श्रद्धालुजन अपनी प्रचुर आय में से समुचित आर्थिक कृपा करें।
विनीत
० हीराभाई चौधरी उमरावमत्त पालेचा मोतीलाल भड़कतिया
अध्यक्ष संयोजक, वरखेड़ा तीर्थ एवं जीर्णाद्धार समिति संघ मंत्री
छः
हा
কি
क
| +
ক
ड
श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ संघ, जयपुर
क @ # ® @ @ @ ® @ ¢ 0 ® 9 @ ® ® ® € & ® ¢ © $¢ 5 6 शश € € ०® € ® 9 ® ® 9 ® @ ® ® @ >® ® ® ® ढ
रु. 18,11,111 ‹
§
4
ई
ध
4
4
4
०
ध
6
निर्धारित कियी गया. है
8
4
थे
|,
চি
थ
|,
©
9
@
®
®
®
@
®
®
®
®
७
क
७
क
গু
®
न
७
@
श
७
छ
क
গু
७
७
छ
গু
॥ ^
क
७
®
॥
ডি
७
®
न
क
®
क
७
গু
ক
छ
क
क
| ,
User Reviews
No Reviews | Add Yours...