अदिति | Aditi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ ভি স্মশিলি १६ का उत्तर था, में सत्य को दूसरों के दरवाज़े पहुँचाने में विश्वास नहीं रखता---(1 60 ४0 92९18ए७ 11 #1702- 118 0০ 60 800100687০0) জিজন্কী ভু कुछ लेना होगा वह मेरे पास आयेगा । यही कारण है कि हम लोग इनके विषय में कुक भी नहीं जानते, अधूरा जानते हैं या भ्रमपूर्ण बातें जानते हैं । ईश्वर-कृपा से पिछले पाँच-छः वर्षो से मुझे श्रीअर विन्द- आश्रम मे जाकर वषं मे ও, & महीने तक रहने का अवसर होता है ओर में आश्रम से संबद्ध हो चुका हूँ। इसी निकट परिचय के आधार पर में श्रीअरविन्द-आश्रम के विषय में पाठकों को कुछ जानकारी देने का यत्न करूँगा | १ श्रीअरविन्द की सिद्धि सरकार श्रीअर विन्द छो शायद्‌ अव तक भी एक भयं- कर विद्रोही समझती है| भारत की शिक्षित जरता उनको एक महान देशभक्त के रूप में पूजती है । इसी कारण उनको कई बार काँग्रेस के अध्यक्ष-पद्‌ के लिए निमंत्रित किया जा चुका है। पर वे अब इस स्थिति से ऊपर हो चुके हैं । अब से लगभग तेंतीस वर्ष पूष अथात्‌ उन्‍नीस सो दस में वे अपने तीन पागलपन बताते हुए इधर आये ये । अपना सबसस्‍्त्र भारतमाता के चरणों में समर्पित करना, भारतमाता को बन्धन-मुक्त करना ओर तीसरे, भगवान का साक्षात्कार, ये थे उनके तीन पागलपन । पर शीघ्र ही पदली दो बातें,




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