हिंदी के उपन्यासकार | Hindi Ke Upannyaaskaar

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Hindi Ke Upannyaaskaar by यज्ञदत्त शर्मा - Yagyadat Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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८] हिन्दी के उपन्यासकार ] उसका मानव-जीवन से वहत कुछ सम्बन्ध ठहरा। जासूसी विभाग की निर्भयता और बुद्धि-चातुरी का ही इस साहित्य में विशेष रूप से दिग्दशन मिलता है। इंगलेंड की जनता हत्यारों ओर डाकुओं से परेशान थी। इसलिए वहाँ इस साहित्य का विशेष सम्मान हुआ र पाठकों के लिये यह अधिकाधिक हृदयग्राही बनता चला गया। इसी प्रकार के उपन्यास हिंदी में श्री गहमरी जी ने लिखे ओर उनमें निर्भीक जासूसी विभाग के कार्यकत्ताओं की मुक्त कंठ से रोचकता के साथ उन्होंने प्रशंसा की । क्‍ अराजकता इस समय भारत में भी कम नहीं थी। जनता ने व्यवस्था की भावना में जब मनोरंजन की सामग्री प्राप्त की तो उन्होंने अपना ध्यान विशेष रूप से उपन्यास साहित्य की ओर लगा लिया । - 'परिलिप श्रोपेनहमः,. 'शरलाक होम्स', एडगर बरैलेसः आदि उपन्यासकारों ने जासूसी विषयों पर जैसी मनोरंजक रचनायें की थीं गहमरी जी ने भी उसी प्रणाली को अपनाया ओर हिंदी के उपन्यास-भंडार को भरना प्रारम्भ कर दिया। जिस प्रकार अंगरेज़ी में “ब्लेक सीरीज़”, सिक्स पेन्स सीरीज़” और 'फ़ोर ঈল্ব ভীবীত इत्यादि प्रकाशित हुई उसी श्रकार हिंदी में भी रचनायें प्रकाशित की जाने लगीं ओर उनका पाठकों ने बहुत अच्छा स्वागत किया । हीलर के बुक स्टालों पर उनकी. अच्छी मांग हुईं और रेल के यात्रियों ने यात्रासमय को सफल बनाने के लिये उन पुस्तकों का सुन्दर उपयोग किया । द गहदमरी जी ने “जासूस! नास का एक मासिक पत्र निकाला जिसमें उनके धारा-वाहिक उपन्यास ग्रकाशित हुए। हिंदी पाठकों में इस पत्र ने पयाप्न ख्याति ग्राप्त की ओर यह _ जासूस ` पत्र पत्र आज तक भी सफलता पूर्वक चलता चला जा रहा हे। जेसा इस पत्र का नाम हे इसमें बेसी ही जासूसी विषय की सामग्री रहती हे और वह भी विशेष रूप से




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