निशीथ-सूत्रम भाग - 4 | Nishith-Sutram Part - 4
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
31 MB
कुल पष्ठ :
718
श्रेणी :
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अमर मुनि - Amar Muni
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मुनिश्री कन्हैयालालजी कमल - Munishri Kanhaiyalalji kamal
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)माष्यगाथा ५११८-५१२७ ] पीडश उददेशक' ७
उडियपरिग्गहिते एते चेव तिणि पच्छित्ता काललहृश्रा तवगरुशग्रा । जम्हा जहण्णादिविभागेण
कत सण्णिहितासण्णिहितेण ण विपेसियन्व, तम्हा विभागे श्रोहो गगरो ।५१२९१॥
इदाणि विभागपच्छित्त ~ तत्य एयाणि चेव जहण्णमज्मिमुक्कोसागि असण्गिद्यिसण्गिहिय भिण्णा
खद्राणा भवति ।
तहे मण्णति -
चत्तारि य उग्वाया, पमे चितियम्मि ते अणुग्धाया |
ततियम्मि य एमेवा, चरत्थे छम्मास उग्धाता ॥५१२२॥
जहण्णेण श्रसणििहिय पढमं ठाण, सण्णिहिय वित्तिय ठाण |
मज्मिमे श्रसण्णिहिय तइयदाणं, सण्णिहिय चउत्य |
उक्कोसेण श्रसण्िहिय पचम, सण्णिहिय छु ।
जहण्णए श्रसण्णिहिए पायावच्चपरिग्गहिते ठति चउलहुय, सण्णिदिष चउगरुर । मज्िमए
अ्रसण्णिहिए “एमेव” त्ति - चउग्रुरुगा, सण्गिहिए छल्लहुगा।1५१२२॥॥।
पंचमगम्मि वि एवं, छं छम्मास होंत5णुग्घाया ।
असनिहिते सब्निहिते, एस विही ठायमाणस्स ॥५१२३॥
उक्कोसए् अ्रसण्णिहिए पायावच्चपरिगहिते ठति एमेव त्ति छललहुगा, सण्णिहिए छग्गुरू । एसो
ठाणपच्छितस्स विधी भणितों ॥1५१२३॥।
पायावच्चपरिग्गह, दोहि वि लहु होंति एते पच्छित्ता |
कालगुरु कोडंबे, डंडियपारिग्गहे तवसा ॥५४१२४॥
पायावच्चे उभयलहू, कोटुविए कालगुरू , उडिए तवग्रुरू । सेस पूरवेवत् ॥५१२४॥
राणपच्छित्त चेव वितियादेसतो भण्णति -
अहवा भिक््खुस्सेयं, जहण्णगाइम्मि ठाणपच्छित्त |
गणिणो उवरि छेदो, मूलायरिए हसति देडा ॥४१२५॥
ज एय जहण्णगादी श्रसत्निहियसन्निहियमेदेण चउलहुगादि - छंग्गुरयावसाण एय भिक्खुत्स
भणिय । “पणि” त्ति-उवल्ाश्रो, तस्र चडउग्रुरुगादी चेदे ठ।यति । श्रायरियस्स चंल्लहुगादी मूले ठायति । इह्
चारगाविकष्पे जहा उवरिपद वति तहा हेडापद हस्सति । ।।५६२५॥
पठमिल्लुगम्मि ठाणे, दोहि वि लहुगा तबेण कालेणं |
वितियम्मि य कालगुरू, तवगुरुगा होंति तश्यम्मि ॥|११२६॥
इह पढमिल्लुग पागतित ठाण, वितिय कोटुब, ततित दडिय | सेस पृव॑ंक्त् ॥५६२६॥ एये
ठायतस्स पच्छित्त भणिय।
इृदाणि पडिसेवतस्स पच्छित्त भण्णति -
चत्तारि छच लह गुरु, छम्मासिय छेद लहुग गुरुगो तु ।
मूल जहण्णगम्मी, सेवंते पसज्ज्ण मोत्तुं ॥४१२७॥
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