ख्वाबे - हस्ती | Khvabe Hasti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ख्वावे-हस्ती (जीवन-सपना) /9
बहार : आपके जर-ओ-माल के लिए !
तीसरी मोपके हुस्त-मो-जमाल के लिए ।
चौथी : कुयामत-मी चाल के लिए । =
डाली : ग़ज़ब फे,छत-गो-ताल के लिए } =
वहारः एूल-से गलके लिए !
रजिया : माशा अल्लाह ! माशा अल्ता?!
सीसरी : रहे जहान् में तू रोशन माहे-तमां फो तरह
चौथी : रहे बहार तेरी बागग्रेनबेजियों फी तरह 1. `
डाली ; तू तरक्की करे क़यामत की ।
अहार : तेरा शवाब बढ़े उम्रन्जाविदों को तरह।
[उद मिलकर गाती हैं)
प्यारी साज्ञ के भाले फर से !
फारो नेनन के भर से, मद के प्याले !
रंगत सुन्दरिया मोहनियां। र 7
नजर नज्षर तु भना कठारो पूरी बुलारी मोरी।_ *'
मिस दिन लगाती सन पे कांर्ह, सेनन के भाले** ९
जिया: बस, बस |! मालूम हुआ कि तुम्हें दुमाएं दैने का खूब
अभ्यास है ! রগ
डाली: ऐ हुजूर, बड़ो सरकार ते अपनी सारी दोलत. आपके নাম
लिख दी---अभी तो इसकी मुबारक कहनी भाकी है।
यहार : हां, बीबी मुबारक !
'तीसरी : सरकार, मुवारक !
चौधो : हजूर, मुबारक !
डाली; अब तो मिठाई खिलवाइए। *
बद्दार : अब तो इनाम दिलवाइए !
चीसरी ; मैं तो हज्ञार का तोड़ा लूंगी। `;
चौथी : ओर मैं तोड़े के साथ एक ज़री का जोडा भी लूंगी । ५१%
रजिया : दीवानियो, यह :सच है कि बेटेन्की वालायक हरकतें देखकर
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