ख्वाबे - हस्ती | Khvabe Hasti

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Khvabe Hasti by कृष्णदेव झारी - Krishndev Jhari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ख्वावे-हस्ती (जीवन-सपना) /9 बहार : आपके जर-ओ-माल के लिए ! तीसरी मोपके हुस्त-मो-जमाल के लिए । चौथी : कुयामत-मी चाल के लिए । = डाली : ग़ज़ब फे,छत-गो-ताल के लिए } = वहारः एूल-से गलके लिए ! रजिया : माशा अल्लाह ! माशा अल्ता?! सीसरी : रहे जहान्‌ में तू रोशन माहे-तमां फो तरह चौथी : रहे बहार तेरी बागग्रेनबेजियों फी तरह 1. ` डाली ; तू तरक्की करे क़यामत की । अहार : तेरा शवाब बढ़े उम्रन्‍जाविदों को तरह। [उद मिलकर गाती हैं) प्यारी साज्ञ के भाले फर से ! फारो नेनन के भर से, मद के प्याले ! रंगत सुन्दरिया मोहनियां। र 7 नजर नज्षर तु भना कठारो पूरी बुलारी मोरी।_ *' मिस दिन लगाती सन पे कांर्ह, सेनन के भाले** ९ जिया: बस, बस |! मालूम हुआ कि तुम्हें दुमाएं दैने का खूब अभ्यास है ! রগ डाली: ऐ हुजूर, बड़ो सरकार ते अपनी सारी दोलत. आपके নাম लिख दी---अभी तो इसकी मुबारक कहनी भाकी है। यहार : हां, बीबी मुबारक ! 'तीसरी : सरकार, मुवारक ! चौधो : हजूर, मुबारक ! डाली; अब तो मिठाई खिलवाइए। * बद्दार : अब तो इनाम दिलवाइए ! चीसरी ; मैं तो हज्ञार का तोड़ा लूंगी। `; चौथी : ओर मैं तोड़े के साथ एक ज़री का जोडा भी लूंगी । ५१% रजिया : दीवानियो, यह :सच है कि बेटेन्की वालायक हरकतें देखकर




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