आस्कर वाइल्ड की कहानियाँ | Oskar Waild Ki Kahaniyan
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.8 MB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दिशु-देवता श्७
को सुने उसे इतने दिन बीत गये थे कि बढ़ उसे स्वर्गोय संगोत नमझ रहा
था । उस वक्त बर्फ रुक गया था, आसमान खुल गया था, तूफान नो गया
था । गौर खुले हुए वातायनसे सौरभकी लहरें उसे चूम जाती थी ।
“मैं समझता हूँ चसन्त था गया”, जादूगरने कहा और विन्तरसे
उछल कर वाहर झाँकनें गा ।
उसने एक भआाध्चर्यजनक देखा--दोवाल के एक छोटे-से छेदमेंसे
बच्चे भीतर घुस नाये हूं और पेडकी नाखोंपर बैठ गये हैं । पेड़ वच्चोका
स्वागत करनेमें इतने छुच थे कि वे फूलोसे लद गये थे और लहराने
लगे थे ! चिडियाँ फुदक-फुदककर गीत गा रही थी लौर फूल
घासमें-से झाँकिकर हंस रहें थे ।
किन्तु फिर भी एक कोनेमें अभी था । वहाँ एक बहुत छोटा
वच्चा खडा था । वह इतना छोटा था कि डाल तक नही पहुँच पाता
था--अतः वह रोता हुआ घूम रहा था 1 पेड़ चर्फ्ते ढँका था और उसपर
उत्तरी हवा वह रही थी । “'प्यारे बच्चे चढ आओ !”” पेडने कहा और
डालें झुका दी मगर वह वच्चा वहुत छोटा था ।
वह दुष्य देखकर जादूगरका दिल पिघल गया । “मैं कितना स्वार्थी
था !” उसने सोचा, “यह कारण था कि अभी तक मेंरें वागमें वसन्त नहीं
आया था ? मैं उन वच्चेको पेडपर चढ़ा दूँगा, यह दीवाल तुडवा दूँगा
और तब मेरा उपचन हमेंथाके लिए क्रीडा-भूमि वन जायगा !””
वह नीचे उतरा और दरवाज़ा खोलकर वागमे गया । जब घच्चोंने
उसे देखा तो वे डरकर भागे और वोगमें फिर जाडा ला गया । मगर उस
वच्चेको आँखोमें आँयू भरे थे और वह ॒जादूगरका आगमन नहीं देख
सका । जादूगर चुपचाप पीछेसे गया और उसने घीरेसे उसे उठाकर पेडपर
विठा दिया । पेडमें फौरन कलियाँ फूट निकलीं और चिंडियाँ लौट भाई
और गाने लगी । छोटे वच्चेने अपनी नन्ही वाहें फैलाकर जादुगरकों चूम
लिया । दूसरे वच्चोंने भी यह॒ देखा और जब उन्होंने देखा कि जादुगर
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