मोक्ष की कुंजी भाग - 1 | Moksh Ki Kunji Bhag 1
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
866 KB
कुल पष्ठ :
76
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६४)
रूपी खेबटिया (नाविक) है। समकित रूपी खेयटिया न हो
तो सय साधन णन्य रूप ई । लेसे पिना बीन के वृदो
उत्पत्ति, बाद्धि घ फ़ल नहीं होते, इसी प्रकार समकित (सच्ची,
सम, सद् विवेक ) रूपी बीज के धिना सम्पर् ज्ञान,
चाप्र फी उपात्त) स्थिति शरीर वद्धि भी नदीं हो सकरी
तथा उसका फ़ल सत्य सुख ( मोत्त ) नहीं मिलता | तथा
समकित नीच के समान है। जैसे परिना सौंप के मकान नहीं
उर सफता उसी प्रफार धिना समक्तित के ज्ञान चारि
नं उदर सकते ।
(४ ) प्रश्ष--समकित गुणको रोकने वाला श्रतरग
कारण वया ह !
उत्तर--मिध्यात्व मोहनीय है । मिप्या अथीत् खोटा
मोहनीय अशीत गवना, ममत्व करना । जो बात खोटी
खसे रचि, ममता करे सो मेध्या मोहनीय 2 । ऐसी
युद्धि उसन्न दोने फा कारण मिध्यात् मोहनीय के क-
दल हैं। और पुनः दसी बुद्ध से मिथ्याल भोहनीय कर्म
का घघ होता है |
(६) अश्न--मिथ्यात्त मोहनीय से कैसी बद्धि
रेष है से সা
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