संचिता | Sanchita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
246
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)संचिता
जनवरी, १६१६
मार्गगा मे कमी न तुमसे,
कोरे भी उपहार ।
मेरे हृदय-धाम में होगा,
जहाँ तुम्हारा वास |
तहाँ शीघ्र में हो जाऊँगा,
निश्चय उच्च उदार ।
स्वार्थ कपट ३्षां का मन में,
नहीं रहेगा लेश।
उन्हं बहा देगी पल भर में,
पावन दृग-जल-धार ।
क्रोध, विरोध, मोह) मद, मत्सर,
लोभ, क्षोभ, अभिमान |
सभी तुम्हारे प्रबल अनल में,
होंगे जल कर क्षार |
में न करूंगा कभी भूलकर,
अपने मन का काम |
मुझ पर होगा प्रेम! तुम्हारा,
सदा पूण-अधिकार ।
गाऊँगा में सदा तुम्हारे,
स्वर में जीवन-गीत ।
होगा लीन तुम्हीं में मेरा,
सुख-दुखमय संसार ।
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